गुरुवार, 24 मई 2012
प्रश्न हमारा स्वयं प्रश्न बन कर उत्तर भी होगा..
रविवार, 13 मई 2012
शनिवार, 12 मई 2012
जो कुछ भी है तू, बस, तेरी माँ का ही है असर.
हो देवता या हो कोई जन्नत का फ़रिश्ता.
पैदा न कर सकेगा खून-ओ-दूध का रिश्ता .
माँ ! तूने अपने खून से ही दूध बनाकर.
पाला है प्यार से खुद अपना दूध पिलाकर.
तू है कहीं जन्नत में यहाँ मै ज़मीन पर.
फिर भी तू मेरे पास है जैसे मेरे ही घर.
बांहों में यूँ लिपटाके मुझे रात को सोना.
बेशर्त मुहब्बत में हरिक पल ही भिगोना.
हर चीज़ ही पाने को मेरा जिद में वो रोना.
सब कुछ मुझे देने को तेरे चैन का खोना.
हर साँस मेरे दिल को देके जाती है खबर.
जो कुछ भी है तू, बस, तेरी माँ का ही है असर.
-- अरविंद पाण्डेय
गुरुवार, 10 मई 2012
ताप , तरणि का संश्लेषित जब पादप से मिलता है
सोमवार, 7 मई 2012
वे विराट के अमृत पुत्र थे ..
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बुद्ध पूर्णिमा बोधगया,
मदिरा
Location:India
Patna, Bihar, India
रविवार, 6 मई 2012
विपश्यना थी मधुरिम मदिरा..
बुद्ध के बिहार को जानने के लिए इस साइट पर अवश्य जांय :
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बुद्ध पूर्णिमा बोधगया
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Patna, Bihar, India
मंगलवार, 1 मई 2012
शनिवार, 21 अप्रैल 2012
अब बिना रीति, तुमसे ,हे शिव ! हो रही प्रीति..
सर्वं खल्विदं ब्रह्म ..
बस एक भाव, बस एक शक्ति की है प्रतीति.
अब बिना रीति, तुमसे ,हे शिव ! हो रही प्रीति....
अद्वैत भाव की उपलब्धि ही जीवन परम ध्येय है जिसका किंचित आभास न्यूटन , आइंस्टीन जैसे श्रेष्ठ वैज्ञानिकों को जीवन के अन्तिक चरण में मिल पाता है ....... So, Good Morning and Happy This Precious Day of our lives.
रविवार, 15 अप्रैल 2012
..वरना , ये चाँद मेरे दिल से ही निकलता है..
शनिवार, 14 अप्रैल 2012
धर्म और विज्ञान-दोनों के प्रति ही अंध-विश्वास वर्जनीय
धर्म और विज्ञान-दोनों के प्रति ही अंध-विश्वास वर्जनीय है. मैं बता दूं कि मैं आज तक किसी बाबा के पास समस्या लेकर नहीं गया..हाँ, कोई संत धर्म-विज्ञान के संसार में यात्रा कर चुके हैं या नहीं -- यह जिज्ञासा रहती है मुझे..
अगर निर्मल बाबा कृपा बरसाने में अक्षम हैं तो यह उनकी अक्षमता है..जीसस क्राइस्ट कृपा बरसाते थे..और , स्टीफन हाकिंग ब्रीफ हिस्ट्री आफ टाइम में यह कहते हैं कि यदि कोई ऐसा यान बने जो प्रकाश की गति से भी अधिक गति से यात्रा कर सके तो उस बैठ कर यात्रा करने वाला व्यक्ति भविष्य में प्रवेश कर सकता है..किसी को अब हाकिंग कैसे समझाएं कि आज से २०० साल बाद जो दुनिया होगी उसे तुम देख सकते हो,, उसमे रह सकते हो , अगर ऐसा यान मिल जाय...उस दुनिया में क्या हो रहा होगा --यह अभी जान सकते हो..
विज्ञान का अंध - विश्वासी कहेगा कि '' जीसस क्राइस्ट किसी रोगी को स्पर्श द्वारा रोगमुक्त कर ही नहीं सकते थे क्योकि चिकित्सा विज्ञान ऐसा नहीं कहता.....''
धर्म का अंध-विश्वासी कहेगा कि '' हम घोड़े की नाल से अंगूठी बनाकर पहने तो संकट-मुक्त हो जायेगें..'' -- ये दोनों ही गलत और अवैज्ञानिक बात कह रहे होगें..
इस सम्बन्ध में मुझे एक आविष्कार की याद आ रही है..
वर्ष १९८८ की बात है..अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के एक वैज्ञानिक के अनुप्रयोग का विवरण मैंने वायस आफ अमेरिका से सुना था..नासा के एक वैज्ञानिक ने अपनी उंगली के इशारे से १२ फिट दूर तक के स्विच से विद्युत उपकरण को आन-आफ करने में सफलता प्राप्त की थी..
सिद्धांत यह था कि हमारे मस्तिष्क से किसी भी अंग के संचालन हेतु आदेश लेकर विद्युत चुम्बकीय तरंगें निकलतीं हैं जो न्यूरान - डेंड्रान-एक्जान से गुज़रती हुई उस अंग तक पहुँचती हैं..तो उंगली तक पहुचने वाली तरंगे उंगली के बाहर भी प्रवाहित की जा सकती हैं जो ईथर के माध्यम से स्विच तक पहुच सकती हैं..इस सिद्धांत के अनुसार उस वैज्ञानिक ने १२ फिट दूर के स्विच पर उंगली का इशारा करते हुए स्विच आन-आफ करके दिखाया था..अब ये बाते समझनी कठिन तो हैं ही , फिर भी पूर्वाग्रह और अंध-विश्वास से मुक्त मस्तिष्क इन्हें समझ सकता है....
अरविंद पाण्डेय
विज्ञान का अंध - विश्वासी कहेगा कि '' जीसस क्राइस्ट किसी रोगी को स्पर्श द्वारा रोगमुक्त कर ही नहीं सकते थे क्योकि चिकित्सा विज्ञान ऐसा नहीं कहता.....''
धर्म का अंध-विश्वासी कहेगा कि '' हम घोड़े की नाल से अंगूठी बनाकर पहने तो संकट-मुक्त हो जायेगें..'' -- ये दोनों ही गलत और अवैज्ञानिक बात कह रहे होगें..
इस सम्बन्ध में मुझे एक आविष्कार की याद आ रही है..
वर्ष १९८८ की बात है..अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के एक वैज्ञानिक के अनुप्रयोग का विवरण मैंने वायस आफ अमेरिका से सुना था..नासा के एक वैज्ञानिक ने अपनी उंगली के इशारे से १२ फिट दूर तक के स्विच से विद्युत उपकरण को आन-आफ करने में सफलता प्राप्त की थी..
सिद्धांत यह था कि हमारे मस्तिष्क से किसी भी अंग के संचालन हेतु आदेश लेकर विद्युत चुम्बकीय तरंगें निकलतीं हैं जो न्यूरान - डेंड्रान-एक्जान से गुज़रती हुई उस अंग तक पहुँचती हैं..तो उंगली तक पहुचने वाली तरंगे उंगली के बाहर भी प्रवाहित की जा सकती हैं जो ईथर के माध्यम से स्विच तक पहुच सकती हैं..इस सिद्धांत के अनुसार उस वैज्ञानिक ने १२ फिट दूर के स्विच पर उंगली का इशारा करते हुए स्विच आन-आफ करके दिखाया था..अब ये बाते समझनी कठिन तो हैं ही , फिर भी पूर्वाग्रह और अंध-विश्वास से मुक्त मस्तिष्क इन्हें समझ सकता है....
अरविंद पाण्डेय
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