छत्रपति शिवाजी महाराज की स्मृति में मेरी काविता :
हिंदू पद पादशाही हिंद में चलाया था
मुग़ल शैतानों के छक्के छुड़ाए थे.
अफजल का पेट चीर, सेना बिदार डाली,
उत्तर के, दक्षिण के गगन पर छाए थे.
सपने में देख डरा करता औरंगजेब,
डरी म्लेच्छ सेना ने चेहरे छुपाए थे.
धर्म-रक्षार्थ, गुरु रामदास शिष्य, शेर
वीर शिवराज इस धरती पर आए थे.
🇮🇳 अरविन्द पाण्डेय 🇮🇳