मिटेगी सल्तनत, फटेगा आसमां इक दिन .
ये शम्स ,चाँद सितारे बुझे बुझे होंगें.
अगर बचेगा तो ईमान , आखिरत के दिन.
अगर बचा सके उसे, तो, बच सकोगे तुम.
इसी के नूर में श्री कृष्ण ने गीता थी कही.
इसी की रोशनी में आयतें उतरीं थीं कभी.
कुरआन , बाइबिल भी बस इसी से रोशन है.
इसी दरिया से कभी वेद की ऋचा थी बही
- अरविंद पाण्डेय