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गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

कभी खाब में बोल उठा मैं ..


कभी मुझे पंडित ऩे समझा,
मैं , मंदिर जाने वाला. 

कभी मौलवी का गुमान था ,
मैं , कुरान पढ़ने वाला.

कभी खाब में बोल उठा मैं 
अल्लाहुम , गोविन्द कभी,

सभी तरह की मदिरा से 
महकी है, मेरी  मधुशाला.

-- अरविंद पाण्डेय