ॐ
नभ की अनंतता सिमट सिमट,
मुझमे है आज समाई.
मै पूर्ण, शून्य, सर्वत्र आज
मेरी ही सत्ता छाई..
............तुम जो सोचते हो वही हो और अभी नहीं हो तो शीघ्र हो जाओगे
........इसलिए , यह तुम पर निर्भर है कि तुम क्या होना चाहते हो ...................
अरविंद पाण्डेय
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