परावाणी : The Eternal Poetry
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मंगलवार, 9 अगस्त 2011
मगर,मै रुक नहीं सकता, मुझे मंजिल बुलाती है.
ॐ आमीन :
नशीली सी फिजाएं देख मुझको ,मुस्कुराती हैं.
बहुत मीठे सुरों में मस्त कोयल गीत गाती है.
बड़ा ही खूबसूरत है मेरी राहो का हर गुलशन.
मगर,मै रुक नहीं सकता, मुझे मंजिल बुलाती है.
अरविंद पाण्डेय
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