तन्मे मनः शिवसंकल्प मस्तु
गगन बना करता है साक्षी
प्रतिदिन चन्द्र-उदय का .
किन्तु , मनुज के अंतर में
फिर, क्यों बादल है भय का.
मन में शिव-संकल्प सदा हो,
वाणी में मधु-विन्दु .
तभी ह्रदय में उदित
हुआ करता आनंदित इंदु .
अरविंद पाण्डेय
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