ख़ाक न हो खाकी की इज्ज़त
पियो न खादी की हाला .
मित्र न समझो पद,कुर्सी को..
मनमोहक साकी-बाला..
देश-भक्ति जब बने सुरा ,औ '
देश बने जब मदिरालय ..
खाकी ,खादी को तब मधु से ..
तृप्त करेगी मधुशाला
पियो न खादी की हाला .
मित्र न समझो पद,कुर्सी को..
मनमोहक साकी-बाला..
देश-भक्ति जब बने सुरा ,औ '
देश बने जब मदिरालय ..
खाकी ,खादी को तब मधु से ..
तृप्त करेगी मधुशाला
----अरविंद पाण्डेय