इतिहास साक्षी है इसका ,
सत्ता की लाठी से अक्सर,
जागा करता है शेष-नाग,
होकर, पहले से और प्रखर .
पर, हर भ्रष्टाचारी खुद को,
बस अपराजेय समझता है.
लाठी-बंदूकों के बल पर
उठ कर, मिट्टी में मिलता है.
जो संविधान स्वीकार किया
था हम भारत के लोगो ऩे.
उसको ही लाठी से घायल
है किया,निडर,फिर से,तुमने.
हर लाठी जो सत्याग्रह पर
चलती ,गांधी को लगती है.
गांधी जब घायल होता है,
भारत की आत्मा जगती है.
तुमने तो अब अनजाने ही ,
सोए भारत को जगा दिया.
अब तुम्हें भगा, दम लेगें हम,
अंग्रेजो को ज्यूँ भगा दिया.
भारत के पैसों को जब तुम,
स्विस बैंकों में रख आते हो.
हम उसे माँगने निकले हैं,
तो हमको ही धमकाते हो .
हमने तुमसे अनुमति लेकर ,
सत्याग्रह था प्रारम्भ किया.
जब तुम इतना डरते थे,फिर,
दिल्ली क्यूँ आने हमें दिया.
जब शस्त्र-हीन सम्मलेन का ,
मौलिक अधिकार हमारा है.
फिर भी, तुमने हमसे डर कर ,
हिंसा का कहर उतारा है.
दुनिया के देशो से भारत
जो कर्ज़ मांगता फिरता है .
तब , तुम जैसे गद्दारों के ,
चेहरों पर फूल महकता है.
तुम लाठी गोली रखते हो ,
हम अपना सीना रखते है.
रौंदों जितना तुम रौंद सको,
है शपथ तुम्हें, हम कहते हैं.
सीने पर गोली अगर चली ,
वह लौट तुम्हीं को छेदेगी
अपना सीना लोहे का है,
गोली अपना क्या कर लेगी.
अब देख, भयंकर शेषनाग
सीने पर गोली अगर चली ,
वह लौट तुम्हीं को छेदेगी
अपना सीना लोहे का है,
गोली अपना क्या कर लेगी.
अब देख, भयंकर शेषनाग
से भारत ने ललकारा है -
जो धन रक्खा स्विस बैंकों में,
वह सारा, सिर्फ हमारा है.
-- अरविंद पाण्डेय
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (6-6-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
ईश्वर इन्हें सदबुद्धि दे !
जवाब देंहटाएंअति उत्कृष्ट बहुत ही भावपूर्ण सुंदर कविता हैं .......
जवाब देंहटाएंओज पूर्ण शैली में लिखी सार्थक चेतावनी ...अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंThanks for sharing with an awesome presentation.Hope, its theme will serve as a becon light to those who are averse to it.
जवाब देंहटाएंThanks for sharing with an awesome presentation that will serve as a beckon light to those who are averse to it.
जवाब देंहटाएंअरबिन्द सर, आपकी उर्पयुक्त कविता सदैव प्रेरणा देती रहेगी
जवाब देंहटाएंऔर आज के दिन तो और भी .....
बहुत ही भावपुर्ण प्रसंग का बहुत ही कुशलता से वर्णन
किया है, आपने ....बांटने के लिए धन्यवाद....//
awesome!
जवाब देंहटाएंहर लाठी जो सत्याग्रह पर
जवाब देंहटाएंचलती ,गांधी को लगती है.
गांधी जब घायल होता है,
भारत की आत्मा जगती है.
जो भाव मेरे अंतस में सुबह से उमड़ - घुमड़ रही थी वो इन पंक्तियों में पढने को मिल गया .....
आभार ---आइन्स्टीन कुंवर ....
अति सुन्दर....
जवाब देंहटाएंओज से भरपूर सुंदर कविता ..!!
जवाब देंहटाएंपर, हर भ्रष्टाचारी खुद को,
जवाब देंहटाएंबस अपराजेय समझता है.
लाठी-बंदूकों के बल पर
उठ कर, मिट्टी में मिलता है.
सत्य वचन!
बहुत ही सुन्दर अभिवक्ति ......
जवाब देंहटाएंबेचारी जनता अति विश्वास के
साथ अपने प्रतिनिधि को चुनती है ये आशा के साथ
को वह उनकी समस्याओ को सुनेगा और इसके समाधान का प्रयत्न
करेगा लेकिन जब उसे मालूम होता है की वो ठग है तो बेबस,लाचार
होकर वैसे चरण में शरण लेता है जहा उसे कुछ उम्मीद की किरण
दिखाई देती है.लेकिन यहाँ भी ये बर्बर सरकार उसका पीछा नहीं छोडती
उल्टा आन्दोलन कर रहे उस सज्जन में ही खामिया निकलने लगती है .
उसके चरित्र,धन-सम्पति आदि.और इस तरह से सरकार मुद्दा से लोंगो का ध्यान
हटा देती है.मै पूछता हूँ क्या ब्याक्तिगत मामले को बाद में नहीं निपटाया जा सकता.
जो मुद्दा है उस पर ही सरकार को बात करनी चाहिए थी.लेकिन सरकार ऐसा नहीं
कर रही है क्योंकि वह खुद इसमें लिप्त है....हमें किसी तरह से इस आन्दोलन को
आगे बढ़ाना होगा क्योंकि ऐसा समय बार बार नहीं आता..
भारत माता की जय ! आपके इस भाव ने ह्रदय में एक अजीब सा कोल्हाल मचा दिया है |
जवाब देंहटाएं" दीपक जलाना तो इक बहाना था,
वो तो हवाओं को आजमाना था | "
यही दीपक को रामदेव जी ने जला दिया है और उनके इस सत्याग्रह में हम युवक हर इक पग पर उनके साथ हैं.
जय बिहार ! जय बिहार भक्ति |
धन्यवाद
आपका मनीष
सभी देश भक्त सज्जनों को धन्यवाद एवं प्रणाम ... कृपया इस कविता को अधिकाधिक लोगो तक भेजें जिससे ये मालूम हो कि इस देश में सरकारी सेवक इस घटना के बारे में क्या सोचते हैं और कविता के माध्यम से कैसी अभिव्यक्ति कर रहे हैं... यह देश एक अरब से अधिक ईमानदार भारतीयों का है ..
जवाब देंहटाएंऔर सभी भारतीयों की समवेत घोषणा है :
जो धन रक्खा स्विस बैंकों में,
वह सारा, सिर्फ हमारा है.
दमदार पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएं... good presentation , written in full force with meaningful warnings........with inspirational values . I liked your style as always .... what is this called.. I think "वीर रस कविता".....but....
जवाब देंहटाएंI did not like this stanza...
"तुम लाठी गोली रखते हो ,
हम अपना सीना रखते है.
रौंदों जितना तुम रौंद सको,
है शपथ तुम्हें, हम कहते हैं."
I believe in "One Bullet -One Enemy"
Once my conscious says they are wrong and my wisdom declared them enemy . I wont allow them to pump bullet on me...rather I kill them .
This kind of temperament is needed today.Today's answer is Bhagat Singh and Chandrashekhar Azad.
Thanks all ..kripaya forward this link to all Bhaaratiy...
जवाब देंहटाएंaur, ye dono chhand ek saath padhen...
तुम लाठी गोली रखते हो ,
हम अपना सीना रखते है.
रौंदों जितना तुम रौंद सको,
है शपथ तुम्हें, हम कहते हैं.
सीने पर गोली अगर चली ,
वह लौट तुम्हीं को छेदेगी
अपना सीना लोहे का है,
गोली अपना क्या कर लेगी.
बेहतरीन...शायद आँखें खुलें.
जवाब देंहटाएं'हर लाठी जो सत्याग्रह पर
जवाब देंहटाएंचलती, गाँधी को लगती है
गाँधी जब घायल होता है
भारत की आत्मा जगती है '
.....................सशक्त पंक्तियाँ
..........ओजपूर्ण , जन को जागृत करने में समर्थ , बेईमान सत्ताधीशों की असलियत बयाँ करती प्रभावशाली रचना
ह्र्दय से निकली ,भविष्य के प्रति चिन्तित ,ओज पूर्ण शैली में सार्थक रचना……. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंप्रभावी अभिव्यक्ति........
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभावी रचना .. पर ये सरकार जो दामन की नीति पर चल पड़ी है ... कभी नही जागेगी ....
जवाब देंहटाएंजिस तरह आज एक शांतिपूर्ण तरीके से चल रहे आंदोलन को कुचला गया, वह शर्मनाक है। आज मुझे यह कहने में तनिक भी गुरेज नहीं है कि अगर यही लोकतंत्र है, तो इस से बेहतर गुलामी का समय रहा होगा। दुनिया के सबसे बडे लोकतंत्र की सरकार खुद को जनता की, और दुनिया की नजरों में इतना गिरा देगी, आज से पहले कोई सोच भी नहीं सकता था। Shame, Shame... आज शर्म आती है खुद को भारतीय कहने में... महात्मा गाँधी की धरती पर आज कुछ भारतीयों की सरकार ने वह कर दिखाया, जो करने से पहले अंग्रेज भी दस बार सोचते....
जवाब देंहटाएंहर लाठी जो सत्याग्रह पर
जवाब देंहटाएंचलती ,गांधी को लगती है.
गांधी जब घायल होता है,
भारत की आत्मा जगती है.
....विचारों को उद्वेलित कर देनेवाली बहुत प्रेरक और सशक्त रचना..आभार
सीने पर गोली अगर चली ,
जवाब देंहटाएंवह लौट तुम्हीं को छेदेगी
अपना सीना लोहे का है,
गोली अपना क्या कर लेगी...
इस चेतावनी को समय रहते सुन और गुन ले सत्ता तो फिर भी अपने को बचा सकती है...नहीं तो इसका पतन तो निश्चित है...
बहुत ही सार्थक रचना...साधुवाद !!!
It is really a heartening poem extemporized just after attrocities to Baba Ramdev,particulary by an brave IPS officer like you. Kudos to you sir!! We shall over come one day....oh deep in my heart , i do beleive ....
जवाब देंहटाएं-pallav
आपकी यह कविता बहुत सर्द और शान्त शब्दों में चेतावनी देती सी प्रतीत होती है। समसामयिक भारत की एक अजीब स्थिति का यह एक यथार्थ चित्रण है। इसके लिए आपको साधुवाद...
जवाब देंहटाएंहम भारतवासी यह कहते हैँ कल का भारतवर्ष हमारा है। पर समय कहता है हर वासी को, जागो वरना यह किसी और का है।
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