गुरुवार, 4 अप्रैल 2013

दिल भी खिले जो चाँद सा तो बात बने




श्रीकृष्णार्पणमस्तु

खिलता है हर इक रोज़ चाँद आसमान में .
दिल  भी  खिले  जो चाँद सा तो बात बने .

मिलता है हर इक रोज़ फलक इस ज़मीन से 
इन्सां  से  जो  इन्सां   मिले  तो  बात  बने 


अरविंद पाण्डेय
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