जय जय श्री रामनवमी
१
१
श्रीराम,लोकअभिराम,सततनिष्काम,सर्वनयनाभिराम.
शीतल-तुषार-सिंचित-इन्दीवर-दीपित-शुभ-सर्वांग वाम.
मर्यादा-पुरुषोत्तम,निकाम-पौरुष-परिपूर्ण,पवित्र-नाम .
शतकाम-सदृश सौन्दर्यधाम,वरदान करें-मन हो अकाम.
२
अम्बर निरभ्र, तरणि-किरणों से संदीपित.
पवन , सुकोमल मधु-गंध से सुवासित है.
नवमी - मध्याह्न भौमवासर शुभंकर -तिथि ,
जन-मानस प्रमुदित, पशु-पक्षि-दल पुलकित है.
जिनके चरण-तल में शत-कोटि सूर्य-चन्द्र ,
शत शत ब्रह्माण्ड भी अनादि काल-कल्पित हैं.
वे ही अनंत, अव्यक्त अपरिमेय राम,
कौशल्या-अंक में बालक बन प्रफुल्लित हैं.
(यह सवैया छंद में रचित है )
© अरविंद पाण्डेय