रविवार, 6 मई 2012

विपश्यना थी मधुरिम मदिरा..

बुद्ध  पूर्णिमा 




बुद्ध के बिहार को जानने के लिए इस साइट पर अवश्य जांय :

http://biharbhakti.com/home


-- अरविंद पाण्डेय 

6 टिप्‍पणियां:

  1. अहा, अध्यात्म-मधु निर्झर बह रहा है इस ध्यान प्रक्रिया में।

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  2. विपश्यना की ऐसी मधुर परिभाषा पहले कभी नहीं पढ़ी, बधाई !

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  3. परम आदरणीय सर , भगवान बुद्ध की बहुत ही सुंदर एवं उत्कृष्ट रचना हैं ...सादर .

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  4. अरविन्द जी, ब्लॉग विचरण करते-करते आपके घर {ब्लॉग} पर आ पहुंचा, यह जानकर अत्यन्त सुखद अनुभव हुआ की आप हमारे पडोसी जनपद के ही है. आपके विचार जानकर और भी प्रशन्नता हुयी, मुकेश जी के गीत भी आपके स्वर में सुने. आपकी सभी रचनाये हमें बेहद पसंद आई.
    कृपया यहाँ भी समय निकाल कर आयें.
    --
    Harish Singh
    संस्थापक/संयोजक
    http://upkhabar.in/ {भारतीय ब्लॉग लेखक मंच}


    एक निवेदन और "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" से जुड़कर हमारा मार्गदर्शन करें.

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