पाकिस्तान के वज़ीरे आज़म नवाज़ शरीफ के लिए एक नज़्म 💚
क्या बात है हुकूमत हटती नहीं तुम्हारी ,
बदले न एक तुम हो, बदली है दुनियां सारी.
बुश से भी तुम मिले थे, हाथों में हाथ डाले,
अब तो बराक के भी प्याले से सटे प्याले .
हर इक वज़ीरे आज़म हिन्दोस्ताँ का तुमसे
मिलता है गले जैसे यारी हो जाने कब से.
हाफ़िज़ सईद फिर क्यूँ फैला रहा ज़हर है,
दाऊद सा दरिंदा क्यूँ पाक़ के शहर है.
चीनीफरोश हो तुम दुनियां ये जानती है,
फिर फ़ौज क्यूं तुम्हारी बन्दूक तानती है.
उन फ़ौजियों को भी कुछ,चीनी कभी खिलाओ,
अपनी तरह ही यारी का पाठ कुछ पढ़ाओ.
वर्ना जो सब्र फिर से हिन्दोस्ताँ का छूटा,
फिर हिन्द की वजह से, कहना न पाक़ टूटा.
--- अरविन्द पाण्डेय 💚💚💚💚