बुधवार, 24 दिसंबर 2014
किशोर कुमार का समां है सुहाना सुहाना मेरे स्वर में
Sama Hai Suhana Suhana Arvind Pandey: http://youtu.be/PM7pIcWBqfQ
किशोर का समां है सुहाना सुहाना मेरे स्वर में
Sama Hai Suhana Suhana Arvind Pandey: http://youtu.be/PM7pIcWBqfQ
Labels:
samaa hai kishorkumar
Location:India
Patna, Patna
बुधवार, 17 सितंबर 2014
O Mere Shahe Khuba Arvind Pandey Sings Rafi
बुधवार, 10 सितंबर 2014
अम्बर की अनुकम्पा
अम्बर की अनुकम्पा से जल-विन्दु अवनि पर उतर रहे.
मानो प्रफुल्ल नंदन-कानन से तरल-सुरभि अनवरत बहे.
मानव के द्वारा मानव पर अत्याचारों से पीड़ित-जन,
नभ-जल से अभिषिन्चन कर कर संताप हृदय का बुझा रहे .
-- अरविन्द पाण्डेय...
बुधवार, 3 सितंबर 2014
सारे भारत की हुंकार.
अब तो :
सारे भारत की हुंकार.
बंद करो मानव व्यापार.
हम इसे एक आन्दोलन का रूप देना चाहते हैं...
आज वैशाली का प्रथम दिन था मानव व्यापार विरोधी दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का...........अब नौ जिले और बाकी है...जिसके बाद राज्य के सभी जिलों में यह कार्यशाला होगी......
.
दूसरी बात :
1. बिहार में मानव व्यापार के विरुद्ध पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई, देश के अन्य राज्यों से अधिक प्रभावी है और मुक्ति-अभियान पूरी तरह से क़ानून-सम्मत तरीके से संचालित और संपन्न होता है,,
2. बिहार में अन्य राज्यों की पुलिस की तुलना में पुलिस द्वारा मानव अधिकारों के उल्लंघन की घटनाएँ बहुत ही कम होती हैं.....कोई भी व्यक्ति मानव अधिकार आयोग की वेब साइट में यह तथ्य देख सकता है ,,,
3. देश का प्रथम राज्य है बिहार जहां पाक्सो अधिनियम में न्यायालय द्वारा अपराधी को दण्डित किया जा चुका है.
शुभ रात्रि !
सोमवार, 1 सितंबर 2014
पुलिस का नया प्रयोग - सशक्तीकरण सभा :
पुलिस का नया प्रयोग - सशक्तीकरण सभा :
आज इस सभा का आयोजन अब पुलिस का एक आन्दोलन बन चुका है....... बिहार के चालीस जिलों में सभी महिला थानाध्यक्षों द्वारा महाविद्यालयों में जाकर यह सभा आयोजित की जा रही है जिसमें '' छात्राओं को आत्म-सुरक्षा के प्रति स्व-संवेदनशील '' बनाने के लिए संवाद किया जाता है...... आई जी,कमजोर वर्ग के रूप में मैंने महिला थानाध्यक्षों के नेतृत्त्व में यह सभा बिहार के सभी जिलों में महिला महाविद्यालयों - कन्या विद्यालयों में आयोजित किये जाने का निर्देश दिया था .........................जो अब बिहार पुलिस का एक आन्दोलन बन चुका है............
रविवार, 31 अगस्त 2014
सशक्तीकरण : लेखक : अरविन्द पाण्डेय
पुस्तक का नाम '' सशक्तीकरण '' : लेखक : अरविन्द पाण्डेय !!
बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री जीतनराम मांझी जी द्वारा 23 अगस्त 2014 को संवाद भवन,पटना में ''सशक्तीकरण'' का लोकार्पण किया गया..
इस पुस्तक में 9 खंड हैं...... इसमें मेरे द्वारा सृजनात्मक पुलिसिंग के लिए किये गए कुछ प्रयोगों से सम्बंधित अध्याय भी हैं ...... 1.सशक्तीकरण सभा..2. किशोर्न्याय सभा. 3. परामर्श सभा -- ये तीन अध्याय अतिशय फलप्रद और जनोन्मुख पुलिसिंग के आधार-स्तम्भ बन सकते हैं....
...................अनेक वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में बिहार के आदरणीय पुलिस महानिदेशक और समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव श्री अमरजीत सिन्हा, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के सचिव श्री हुकुम सिंह मीणा द्वारा भी अपने विचार व्यक्त किये गए.......
......................... यह पुस्तक मानव-व्यापार निरोध, अत्याचार निवारण और निरोध, किशोर न्याय और स्त्री के विरुद्ध अपराध के विभिन्न पक्षों पर विधिक हस्तक्षेप की प्रविधियां प्रस्तुत करती है..........इसे बिहार के सभी पुलिस अधिकारियों को निःशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा ..........
बंद करो मानव व्यापार.
सारा भारत करे पुकार.
बंद करो मानव व्यापार.
बिहार के 20 जिलों में कमजोर-वर्ग द्वारा चलाई जा रही ग्यारहवीं कार्यशाला का समापन आज पटना के एस.के.मेमोरियल सभागार में हुआ .....................
..................इस दो दिवसीय ' मानव व्यापार निरोध ' विषयक कार्यशाला में पटना के सभी थानाध्यक्षों सहित अन्य पुलिस अधिकारियों ने समर्पण की स्वतः प्रसूत पवित्र भावना के साथ भाग लिया ....
................उदघाटन-समापन के अवसरों पर कार्यशाला में पटना के सभी वरीय अधिकारियों - आई.जी. डी.आई.जी. एस एस पी , डी . एम. ने अपने अनुभवों से प्रतिभागियों को लाभान्वित किया....
.................... कार्यशाला में मैंने सभी को मानव-व्यापार निरोध की तकनीकों को अपने निजी अनुप्रयोगों के माध्यम से बताया..... कार्यशाला का एक दृश्य.......
अरविन्द पाण्डेय
सोमवार, 18 अगस्त 2014
वे दोनों हैं रत्न ...
हज़ारों साल कुदरत खुद ही खुद में कसमसाती है.
तभी जाकर रफ़ी जैसी कोई आवाज़ आती है.
कोई आवाज़, जब महसूस हो,जन्नत से आई है.
किसी बच्चे को अभी मुकेश ने लोरी सुनाई है .
भारत के 100 अरब से अधिक जीवित और स्वर्गवासी लोगों के जीवन को अपने स्वर-सौरभ से रफ़ी साहब और मुकेश जी ने सानंद बनाया ............ मेरे विचार से सबसे पहले इन दो महान भारतीयों को '' भारत रत्न '' मिलना चाहिए.....
.............. सुभाष बाबू तो रत्न नहीं रत्नागार थे.........
उनके प्रेरक व्यक्तित्व से तो रत्नों का निरंतर जन्म होता रहता है......
शनिवार, 9 अगस्त 2014
Shiv hi is Sansar Me Sabke Paalan Haar Aravind Pandey
गुरुवार, 31 जुलाई 2014
Wadiya Mera Daman Arvind Pandey Sings Rafi
On July 31 ,, Immortal Rafi !!Dedicated to all lovers of Md.Rafi Sahab !
In my voice ---
Wadiya Mera Daaman ,
Raaste Meri Bahen,
Jaao Mere Siwa Tum Kaha Jaaoge .......
-- अरविन्द पाण्डेय
Jaane Man Jaane Man Arvind Pandey Sings Kishor Kumar
सोमवार, 28 जुलाई 2014
O Duniya Ke Rakhwale Arvind Pandey Sings
मेरे स्वर में : ओ दुनिया के रखवाले
मंगलवार, 22 जुलाई 2014
यह एवरेस्ट क्यों झुक सा अभी गया है..
सत्ता के पौरुष का पर्याय पुलिस है.
पर,कौन घोलता इस अमृत में विष है.
यह शक्ति-पुंज कैसे असहाय हुआ है.
यह एवरेस्ट क्यों झुक सा अभी गया है.
षड्यंत्र घृणित दिखता जो, वह किसका है.
है सूत्रधार वह कौन, सूत्र किसका है.
विधि के शासन की गरिमा कौन लुटाता.
मर्यादा की रेखा है कौन मिटाता.
दावा करता है कौन न्याय का, नय का.
सारे समाज के शुभ का और अभय का.
वह कौन कि जिसने स्वर्णिम स्वप्न दिखाया.
पर, कर्म किया प्रतिकूल, मात्र भरमाया.
जब जब शासक,खल के समक्ष झुकता है.
तब तब ललनाओं का सुहाग लुटता है.
जब कर्म-कुंड की अग्नि शांत होती है.
तब दुष्टों से धरती अशांत होती है.
जब उच्छृंखल,अपवाचक लोग अभय हों.
जब सत्यनिष्ठ जन को सत्ता का भय हो.
जब श्रेष्ठ,श्रेष्ठता से मदांध सोता है.
वर्चस्व तब अनाचारी का होता है.
विधि के शासन की गरिमा तब लुटती है.
मर्यादा की सब रेखाएं मिटती हैं.
पौरुष का पर्वत भी झुक सा जाता है.
सारा समाज आतंक तले आता है.
इसलिए,अगर सम्मान सहित है जीना
आतंक का न अब और गरल है पीना .
तब नपुंसकों का बहिष्कार करना है.
क्यों बार बार, बस,एक बार मरना है.
--- अरविन्द पाण्डेय
सोमवार, 12 मई 2014
Chingari Koi Bhadke by Aravind Pandey
बुधवार, 7 मई 2014
Hame Aur Jeene Ki Chahat Na Hoti Aravind Pandey
शुक्रवार, 2 मई 2014
रविवार, 27 अप्रैल 2014
हमला वही करता है जो जीता है खौफ में.
हमला वही करता है जो जीता है खौफ में.
बेख़ौफ़ कलंदर है सिकंदर सुकून का.
-- अरविन्द पाण्डेय
गांधी जी कहते थे कि हिंसा वही करता है जो भयभीत होता है.....
............... अनेक अपराधों विशेषतः डकैती के अपराध की पूरी घटना के विश्लेषण में मैंने यह पाया है कि लूटते समय अपराधी पकडे जाने के भय से अत्यंत काँप रहा होता है और उस वक्त यदि किसी ने ज़रा भी प्रतिरोध किया तो उसका भय और बढ़ जाता है और वह तुरंत अपने सामने वाले पर प्राणघातक हमला कर बैठता है....
............ महात्मा गांधी की अहिंसा का दर्शन मूलतः भगवान पतंजलि के योगसूत्र की अहिंसा के संप्रत्यय से निःसृत था..... और उनका प्रत्येक कथन शुद्ध मनोवैज्ञानिक अनुप्रयोगों पर आधारित होता था....
............ कल,अपने विरुद्ध दर्ज अनेक मामलों से भयाक्रांत रामदेव नें एक व्यक्ति के विरुद्ध ऐसी वाचिक-हिंसा कर दी है जो मूलतः मानवता के विरुद्ध अपराधों की श्रेणी में परिगणित किया जाना चाहिए और जो भारत के महान संविधान के मूलाधारों के विपरीत है.....
इस पोस्ट पर कृपया राजनीतिक टिप्पणी न करें..
शुक्रवार, 25 अप्रैल 2014
मेरे स्वर में- Ek Tha Gul aur Ek Thi Bulbul- Aravind Pandey
Dedicated to Respected Nanda Ji ,
The Famous '' Bulbul " of Hindi Film - Jab Jab Phool Khile....
In My Voice - Ek Tha Gul aur Ek Thi Bulbul ....
Singing is the best way to worship God...
My voice follows Mukesh ji, Rafi Sahab , Kishor KUmar Ji and other legends of Hindi and other Indian Music World... So, I sing my favorite singers and pay my salute to them,,,,,,,
Aravind Pandey
सोमवार, 21 अप्रैल 2014
Aravind Pandey recites William Wordsworth and Sings Kishor
ईस्टर पर ईश्वर-पुत्र ईसा की स्मृति में उन्हीं को समर्पित :
Aravind Pandey recites William Wordsworth :
The Poem : By the Sea.....
यह सुहासिनी सुन्दर संध्या , शान्तिमान एवं स्वतंत्र है...........
and Sings Kishor .................
आ चल के तुझे ............
रविवार, 20 अप्रैल 2014
भगत, सुखदेव अब कभी न यहाँ आएगें ..
23 मार्च
इन्कलाब जिंदाबाद
दिया जला के शहादत का हमको छोड़ चले
हुए फना पर आँधियों का भी रुख मोड़ चले
मगर सोचा न था-ऐसा भी वक़्त आएगा
बस एक दिन ही भगत याद हमें आयेगा
हर एक बाप ये सोचेगा कि उसका बेटा
कहीं अशफाक,भगत सा न ज़िन्दगी दे लुटा
हर एक नौजवाँ सलमान की तस्वीर लिए
बस,उस जैसा ही बन के जीने के लिए ही जिए
किया है हमने जो सलूक शहीदों से,सुनो
उसे न माफ़ ये तारीख करेगी , सुन लो
जो लूटते हैं मुल्क को वो मुस्कुराएगें
भगत, सुखदेव अब कभी न यहाँ आएगें
-- अरविन्द पाण्डेय
रविवार, 13 अप्रैल 2014
Ek Tera Sundar Mukhada Aravind Pandey
मेरे स्वर में रफ़ी साहब का मधुरतम गीत ,
हिन्दी फिल्म : भाई भाई
इक तेरा सुन्दर मुखड़ा , इक तेरा प्यार से भरा दिल,
मिलना मुश्किल ....
हिन्दी फिल्म : भाई भाई
इक तेरा सुन्दर मुखड़ा , इक तेरा प्यार से भरा दिल,
मिलना मुश्किल ....
शुक्रवार, 11 अप्रैल 2014
प्रकृति का श्रृंगार तब तक रहेगा बिल्कुल अधूरा
प्रकृति का श्रृंगार तब तक रहेगा बिल्कुल अधूरा.
जब तलक प्रत्येक जन का स्वप्न हो जाए न पूरा.
गिरि, नदी, पर्वत सभी में चेतना है सुप्त, तन्द्रिल,
किन्तु, प्राणी में प्रकट है प्रकृति का संकल्प पूरा.
अरविंद पाण्डेय
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भारत के जन जन में अब तुम प्रकट बनो, हे राम
दासोऽहं कोशलेन्द्रस्य रामस्याक्लिष्टकर्मणः
राम, तुम्हारी रावण-जय का अब हो नहीं विराम.
भारत के जन जन में अब तुम प्रकट बनो, हे राम.
शुद्ध-बुद्ध-प्रतिबद्ध विभीषण का हो अब अभिषेक
स्वर्णमयी लंका का शासक हो सम्बुद्ध - विवेक .
............ प्रत्येक मनुष्य का हृदय स्वर्णमयी लंका है जिस पर अशुद्ध-राग, निजी-द्वेष, विश्वासघात, छल-छद्म, धर्म-विरुद्ध वासनाओं जैसे विकृत दश-मुख रावण का नियंत्रण बहुधा पाया जाता है...
............. स्वर्णिम लंका पर वास्तव में धर्म-सम्मत राग, अखंड विश्वास, धर्म-सम्मत कामना रूपी विभीषण का राज्याभिषेक किया जाना ही महाप्रकृति की इच्छा होती है....
...... श्री रामभद्र का धरा-अवतरण इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए हुआ ..........
............. कलिकाल में अमिताभ बुद्ध, ईश्वर-पुत्र जीसस और पैगम्बर मुहम्मद के माध्यम से उनकी वाणी पुनः अवतरित हुई और संसार को मार्ग-दर्शित किया ..........
श्री रामनवमी इसी ऋत के स्मरण का महापर्व और शुभ अवसर है.....
आप सभी मित्रों को श्री राम नवमी की शुभ कामनाएं .........
ईश्वर , सभी को अशुद्ध-राग, निजी-द्वेष, विश्वासघात, छल-छद्म, धर्म-विरुद्ध वासनाओं से मुक्त करें और
असतो मा सद्गमय की अनुकम्पा करें.....
अरविंद पाण्डेय
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बुधवार, 9 अप्रैल 2014
Moti Jaisa Rang Ang mei in my voice
अरविंद पाण्डेय
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सोमवार, 7 अप्रैल 2014
श्री माँ के श्री चरणों में
यो माम् जयति संग्रामे, यो मे दर्पं व्यपोहति.
यो मे प्रतिबल: अस्ति, स मे भर्ता भविष्यति :
श्री दुर्गा सप्तशती मे भगवती चंडिका का संवाद
मैं वही शक्ति, जिसने शैशव में शपथ लिया
नारी-गरिमा का प्रतिनिधि बन, हुंकार किया --
'' जो करे दर्प-भंजन, जो मुझसे बलवत्तर
जो रण में करे परास्त मुझे, जो अविजित नर ।
वह पुरूष-श्रेष्ठ ही कर सकता मुझसे विवाह
अन्यथा, मुझे पाने की, नर मत करे चाह ।
आज महानिशा-पूजन के अवसर पर श्री माँ के श्री चरणों में
मेरा वर्ण-पुष्प :
अरविंद पाण्डेय
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रविवार, 23 मार्च 2014
भगत ! बचो फांसी से,कर दो इनका काम तमाम.
23 मार्च !!
भगत ! बचो फांसी से,कर दो इनका काम तमाम................
नहीं शहादत देना है, अब तो शहीद करना है.
हिन्दुस्तां के रखवालों अब खुद न कभी मरना है.
भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु की फांसी को भूल,
कुछ काले अँगरेज़ भोंकते हैं भारत को शूल.
इन्कलाब का नारा लेकिन इरविन जैसा काम.
भगत ! बचो फांसी से,कर दो इनका काम तमाम.
अरविंद पाण्डेय
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शनिवार, 22 मार्च 2014
इस ज़मीं से कोई खुशबू ले रहा, काँटा कोई.
दो तरह के पेड़ इक काँटों भरा, इक फूल का.
इस ज़मीं से कोई खुशबू ले रहा, काँटा कोई.
दो तरह के लोग हैं दुनिया के दस्तरख्वान में,
एक लगता मिर्च सा, दूजा लज़ीज़ इफ्तार सा .
अरविंद पाण्डेय
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रविवार, 16 मार्च 2014
हमें है फिक्र कि होली में अम्नो-ओ-चैन रहे.
कृष्णं वन्दे जगद्गुरुं
तुम्हें हसरत है कि होली में खूब रंग मलो,
हमें है फिक्र कि होली में अम्नो-ओ-चैन रहे.
तो फिर,कुछ इस तरह से लाल किसी को करना,
कि वो गुस्से में न हो लाल, न फिर बात बढे.
अरविंद पाण्डेय
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रविवार, 2 मार्च 2014
उन प्राणों की क्या चिंता
ॐ ,,, आमीन
न जायते म्रियते वा कदाचित् ...
क्षण क्षण क्षरण-शील जीवन में,
अनासक्त होकर तन-धन में,
केवल कर्म वही श्रेयस्कर
जिससे हो सबका कल्याण.
उन प्राणों की क्या चिंता जो,
जन्म-जन्म से अविश्वस्त हैं,
तुम्हें छोड़कर निष्ठुरता से,
करते बारम्बार प्रयाण ...
अरविंद पाण्डेय
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रविवार, 23 फ़रवरी 2014
क्या कहें
किसी को गैस है इतनी कि पेट जलता है.
किसी की रोटियाँ बननी भी आज मुश्किल हैं..
अरविंद पाण्डेय
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सोमवार, 27 जनवरी 2014
बुधवार, 15 जनवरी 2014
कवि कुमार विश्वास के लिए एक कविता
कवि कुमार विश्वास के नाम एक कविता
जब अनियंत्रित हो नदी,शिखर से बहती है.
फिर, कैसे बची रहेगी कलुषित धारों से .
निर्बंध महत्त्वाकांक्षा यदि उच्छल होगी ,
फिर 'आप' बचेंगें कैसे हेय विचारों से.
तब, जुबां बंद हो जायेगी उन मुद्दों पर,
जो भारत के जन-जन को विचलित करते है.
तुम विवश रहोगे और कहोगे फर्जी था
जब वीर हमारे मुठभेड़ों में मरते हैं.
गर , कुर्सी की लपटों से कुछ ईमान बचा,
तो करो समर्थन अफ़ज़ल गुरु की फांसी का.
गर, सच को सच कहने की ताकत नहीं बची,
फिर, नाम न लो कविता में झांसी रानी का .
अरविन्द पाण्डेय
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