यो माम् जयति संग्रामे, यो मे दर्पं व्यपोहति.
यो मे प्रतिबल: अस्ति, स मे भर्ता भविष्यति :
श्री दुर्गा सप्तशती मे भगवती चंडिका का संवाद
मैं वही शक्ति, जिसने शैशव में शपथ लिया
नारी-गरिमा का प्रतिनिधि बन, हुंकार किया --
'' जो करे दर्प-भंजन, जो मुझसे बलवत्तर
जो रण में करे परास्त मुझे, जो अविजित नर ।
वह पुरूष-श्रेष्ठ ही कर सकता मुझसे विवाह
अन्यथा, मुझे पाने की, नर मत करे चाह ।
आज महानिशा-पूजन के अवसर पर श्री माँ के श्री चरणों में
मेरा वर्ण-पुष्प :
अरविंद पाण्डेय
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बहुत सुन्दर ,वाह क्या बात है। माँ कि कृपा आप पर और हर सच्चे इंसान पर हमेशा बनी रहे
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की शुभकामनायें।
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