परावाणी : The Eternal Poetry
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शुक्रवार, 29 मार्च 2013
कान्हा न माने Samiksha Nandita sing Holi Song
Happy Holi to all Music Lovers !!
Traditional Holi Song , Composed by Aravind Pandey and Sung by Samiksha Pandey and Nandita Pandey ..
अरविंद पाण्डेय
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गुरुवार, 28 मार्च 2013
जो हर बेरंग को रँग दें , वो दुनिया जीत लाते हैं '
श्रीकृष्णार्पणमस्तु
चलो होली में तुमको इक अजब दास्ताँ सुनाते हैं
बहुत लंबा नहीं बस, एक मिसरा गुनगुनाते हैं-
' न अब है वक़्त कोई जंग तलवारों से लड़ने का
जो हर बेरंग को रँग दें , वो दुनिया जीत लाते हैं '
सभी मित्रों को होली की मंगल कामनाएं
अरविंद पाण्डेय
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मंगलवार, 26 मार्च 2013
मन में शिव-संकल्प सदा हो....
तन्मे मनः शिवसंकल्प मस्तु
गगन बना करता है साक्षी
प्रतिदिन चन्द्र-उदय का .
किन्तु , मनुज के अंतर में
फिर, क्यों बादल है भय का.
मन में शिव-संकल्प सदा हो,
वाणी में मधु-विन्दु .
तभी ह्रदय में उदित
हुआ करता आनंदित इंदु .
अरविंद पाण्डेय
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रविवार, 24 मार्च 2013
भगत, सुखदेव अब कभी न यहाँ आएगें
23 मार्च
इन्कलाब जिंदाबाद
दिया जला के शहादत का, हमको छोड़ चले
हुए फना, पर, आँधियों का भी रुख मोड़ चले
मगर सोचा न था-ऐसा भी वक़्त आएगा
बस एक दिन ही भगत याद हमें आयेगा
हर एक बाप ये सोचेगा कि उसका बेटा
कहीं अशफाक,भगत सा न ज़िन्दगी दे लुटा
हर एक नौजवाँ सलमान की तस्वीर लिए
बस,उस जैसा ही बन के जीने के लिए ही जिए
किया है हमने जो सलूक शहीदों से,सुनो
उसे न माफ़ ये तारीख करेगी , सुन लो
जो लूटते हैं मुल्क को वो मुस्कुराएगें
भगत, सुखदेव अब कभी न यहाँ आएगें
अरविंद पाण्डेय
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बुधवार, 20 मार्च 2013
ढलेंगें हम न कभी,हमको यूँ ही चलना है
चरैवेति
अगर अवाम के तन पर नहीं कपडे होंगे
अगर गरीब हिन्दुस्तान के भूखे होंगे
समझ लो फिर ये आज़ादी अभी अधूरी है
अभी मंजिल में और हममे बहुत दूरी है
हो सुबह,रात हो या गर्म दुपहरी की तपिश
हमें हर हाल में मंजिल की ओर बढ़ना है
ढले महताब, सितारे या शम्स ढल जाए
ढलेंगें हम न कभी,हमको यूँ ही चलना है
अरविंद पाण्डेय
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शुक्रवार, 15 मार्च 2013
जय जय जय जयति परावाणी
जो वाणी, परिनिष्ठित ऋत में ,
वह वाणी, सिद्ध परावाणी !
क्षण क्षण जो क्षरण-शील कण है,
वह अक्षर करे, परावाणी !
बिखरी वैखरी विकल जो है ,
वह वाणी अविरत है आकुल ,
वीणा सी जो झंकार करे ,
जय जय जय जयति परावाणी
अरविंद पाण्डेय
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सोमवार, 4 मार्च 2013
वक़्त के पहिये के नीचे पिस रही हर शय यहाँ...
थक चुके हों गर कदम,फिर भी तुझे चलना ही है.
हो बहुत गहरा अन्धेरा,शब को, पर, ढलना ही है.
वक़्त के पहिये के नीचे पिस रही हर शय यहाँ.
आज जो सरताज,कल मुफलिस उसे बनना ही है.
अरविंद पाण्डेय
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बुधवार, 27 फ़रवरी 2013
मुझे तो चाहिए बस आज वही हिन्दुस्तां.
हर एक दिल में ही जब ताजमहल सजता हो.
हर एक शख्स ही जब शाहजहां लगता हो.
हर एक दिल में हो खुदा-ओ-कृष्ण का ईमां.
मुझे तो चाहिए बस आज वही हिन्दुस्तां.
अरविंद पाण्डेय
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रविवार, 10 फ़रवरी 2013
गर, हमारे सर की तरफ,आँख उठा देखोगे,..
गर, हमारे सर की तरफ,आँख उठा देखोगे,
तो सुन लो - हाँथ भर की रस्सी के फंदे में,
तुम अपने सर को लटकता हुआ भी देखोगे.
अरविंद पाण्डेय
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बुधवार, 6 फ़रवरी 2013
जीवन बस यूँ ही चलता है .
ॐ आमीन
जीवन बस यूँ ही चलता है .
कुछ खोता,फिर, कुछ पाता है,
पाकर ज्यूँ ही इठलाता है,
दो पल चमक चमक कर सूरज,
बेबस हो, यूँ ही ढलता है ,
जीवन बस यूँ ही चलता है ..
अरविंद पाण्डेय
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