परावाणी : The Eternal Poetry
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रविवार, 10 फ़रवरी 2013
गर, हमारे सर की तरफ,आँख उठा देखोगे,..
गर, हमारे सर की तरफ,आँख उठा देखोगे,
तो सुन लो - हाँथ भर की रस्सी के फंदे में,
तुम अपने सर को लटकता हुआ भी देखोगे.
अरविंद पाण्डेय
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