श्रीकृष्णार्पणमस्तु
चलो होली में तुमको इक अजब दास्ताँ सुनाते हैं
बहुत लंबा नहीं बस, एक मिसरा गुनगुनाते हैं-
' न अब है वक़्त कोई जंग तलवारों से लड़ने का
जो हर बेरंग को रँग दें , वो दुनिया जीत लाते हैं '
सभी मित्रों को होली की मंगल कामनाएं
अरविंद पाण्डेय
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सशक्त सुन्दर रचना ....!!
जवाब देंहटाएंDhanyvad Anupama ji
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (30-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
Dhanyvad Vandana Ji
जवाब देंहटाएंआपको भी होली की शुभकामनायें..
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