मंगलवार, 26 मार्च 2013

मन में शिव-संकल्प सदा हो....




तन्मे मनः शिवसंकल्प मस्तु 

गगन बना करता है साक्षी 
प्रतिदिन चन्द्र-उदय का .
किन्तु , मनुज के अंतर में 
फिर, क्यों बादल है भय का. 

मन में शिव-संकल्प सदा हो,
वाणी में मधु-विन्दु .
तभी ह्रदय में उदित 
हुआ करता आनंदित इंदु . 



अरविंद पाण्डेय 
 www.biharbhakti.com

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