23 मार्च
इन्कलाब जिंदाबाद
दिया जला के शहादत का, हमको छोड़ चले
हुए फना, पर, आँधियों का भी रुख मोड़ चले
मगर सोचा न था-ऐसा भी वक़्त आएगा
बस एक दिन ही भगत याद हमें आयेगा
हर एक बाप ये सोचेगा कि उसका बेटा
कहीं अशफाक,भगत सा न ज़िन्दगी दे लुटा
हर एक नौजवाँ सलमान की तस्वीर लिए
बस,उस जैसा ही बन के जीने के लिए ही जिए
किया है हमने जो सलूक शहीदों से,सुनो
उसे न माफ़ ये तारीख करेगी , सुन लो
जो लूटते हैं मुल्क को वो मुस्कुराएगें
भगत, सुखदेव अब कभी न यहाँ आएगें
अरविंद पाण्डेय
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जहाँ पर शहीदों का मान नहीं, भला वहाँ आकर क्या करेंगे।
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