तब तक ये फटेगें हमारे सीनों पे बारूद.
जब तक न फट पड़ेगें हम शैतान के सर पर.
----------------------------------
करते जो हिफाज़त हैं असल,उन सभी को तुम.
करते हो परेशान मुकदमे चला, चला.
रहवर जो बने हो तो फिर अब करो हिफाज़त .
वर्ना, कहो अवाम से '' नाकाम हम हुए ''
---------------------
पूर्व-सूचना देकर दिल्ली में होता विस्फोट
पहुंचाई जा रही देश को अमिट, अकल्पित चोट
किसी धर्म ने,किसी जाति ने, किया न कभी विरोध ।
फ़िर, अफ़ज़ल के मृत्यु-दंड में है किसका अवरोध ।
भारत के जिस राज चिह्न में लिखा -"सत्य अविजेय"।
उसे पहन भी कई लोग क्यों भूल चुके हैं ध्येय ।
अबल हो रही दंड-नीति का नही जिन्हें है ध्यान ।
काल-पुरूष का न्यायालय लेगा उनका संज्ञान ।
जिसे आज वे समझ रहे हैं इस जीवन का लक्ष्य ।
नही, नही, वह लक्ष्य नही, वह तो है घृणित, अभक्ष्य ।
तुच्छ-स्वार्थ के लिए आज रख रहे परस्पर द्वेष ।
नही ध्यान है कहा जा रहा अपना भारत देश ।
शपथ लिया था देशभक्ति का, गए उसे क्यों भूल ।
क्या सोचा था, जीवन पथ में सदा मिलेंगे फूल ।
कांटो पर चलकर ही करना था पूरा कर्तव्य ।
राष्ट्र-पुरूष के मस्तक पर टीका करना था भव्य ।
करना था उन षड्यंत्रों को पल ही पल में नष्ट।
बना रहीं हैं जो युवजन को अपराधी अतिभ्रष्ट ।
किंतु आज हम सब क्यों है बस अपने में मशगूल ।
कांटो से भयभीत, सिर्फ़ क्यों खोज रहे हैं फूल ।
आज समय है- बने संगठित अपना सारा देश ।
एक जाति हो, एक धर्म हो , एक हमारा वेश ।