अरविन्द पाण्डेय का ब्लॉग
नील धरा,गगन भरा।
बहुत ही अच्छे ढंग से निमंत्रण को परिभाषित करती सुंदर सी कविता .....
मानव के नीले कर्मो से थी भरी धरा.इस पंक्ति का अर्थ नहीं समझा |नीले कर्मो से क्या अर्थ हुआ ..?बाकी तो कोई दिवा स्वप्न सा देखा लगता है ...बहुत सुंदर कविता ...
धन्यवाद .. कविता का छोटा अंश ही ब्लॉग में देता हूँ..पूरा अंश नहीं.वह आगामी पुस्तक के लिए संग्रहीत कर रहा .. नीले कर्म : अर्थात मनुष्य के कुत्सित कर्मो के कारम धरती का सौन्दर्य नष्ट हो रहा..
एक प्रश्न सा दे रही है आपकी रचना ...श्वेत वस्त्र धारण की हुई माँ शारदा की आराधना कर ...काश इस नील को हम श्वेत में बदल सकें .....!!गुरु पूर्णिमा पर प्रभु नमन ..http://anupamassukrity.blogspot.com/2011/07/my-performancesinging-ganesh-vandana-in.html
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नील धरा,
जवाब देंहटाएंगगन भरा।
बहुत ही अच्छे ढंग से निमंत्रण को परिभाषित करती सुंदर सी कविता .....
जवाब देंहटाएंमानव के नीले कर्मो से थी भरी धरा.
जवाब देंहटाएंइस पंक्ति का अर्थ नहीं समझा |
नीले कर्मो से क्या अर्थ हुआ ..?
बाकी तो कोई दिवा स्वप्न सा देखा लगता है ...
बहुत सुंदर कविता ...
धन्यवाद .. कविता का छोटा अंश ही ब्लॉग में देता हूँ..पूरा अंश नहीं.वह आगामी पुस्तक के लिए संग्रहीत कर रहा ..
जवाब देंहटाएंनीले कर्म : अर्थात मनुष्य के कुत्सित कर्मो के कारम धरती का सौन्दर्य नष्ट हो रहा..
एक प्रश्न सा दे रही है आपकी रचना ...श्वेत वस्त्र धारण की हुई माँ शारदा की आराधना कर ...काश इस नील को हम श्वेत में बदल सकें .....!!
जवाब देंहटाएंगुरु पूर्णिमा पर प्रभु नमन ..
http://anupamassukrity.blogspot.com/2011/07/my-performancesinging-ganesh-vandana-in.html