अरविन्द पाण्डेय का ब्लॉग
सबको सबमें प्रेरित रखती,सबकी अपनी मधुशाला।
स्वरूपत्वेन रूपेण स्वरूपं वस्तु भासते |अपने -अपने रूप के माध्यम से ही वस्तु का स्वरुप् भासित होता हैं |आप का ये अमृतमयी , आलौकिक -लेखन ,आत्मा के समक्ष इस माहरास का जिवंत दृश्य उपस्थित कर देता हैं |आलौकिक हैं आनंद हैं |
वाह ..बहुत सुंदर भाव ...श्याम नील वर्ण पर बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...
आप यहाँ अपने विचार अंकित कर सकते हैं..हमें प्रसन्नता होगी...
सबको सबमें प्रेरित रखती,
जवाब देंहटाएंसबकी अपनी मधुशाला।
स्वरूपत्वेन रूपेण स्वरूपं वस्तु भासते |
जवाब देंहटाएंअपने -अपने रूप के माध्यम से ही वस्तु का स्वरुप् भासित होता हैं |
आप का ये अमृतमयी , आलौकिक -लेखन ,आत्मा के समक्ष इस माहरास का जिवंत दृश्य उपस्थित कर देता हैं |
आलौकिक हैं आनंद हैं |
वाह ..बहुत सुंदर भाव ...
जवाब देंहटाएंश्याम नील वर्ण पर बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...