शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011

श्री राधा के कर में शोभित..



श्री राधा के कर में शोभित ,
मोहक दर्पण का प्याला.

उसमें सजती केशव की छवि
आज बन गई है हाला.

आँखों से, बस, धीरे धीरे,
नील-वर्ण मधु पीती हैं,

महारास की निशा , धरा पर
उतर , बन गई मधुशाला.

-- अरविंद पाण्डेय 

3 टिप्‍पणियां:

  1. सबको सबमें प्रेरित रखती,
    सबकी अपनी मधुशाला।

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  2. स्वरूपत्वेन रूपेण स्वरूपं वस्तु भासते |
    अपने -अपने रूप के माध्यम से ही वस्तु का स्वरुप् भासित होता हैं |
    आप का ये अमृतमयी , आलौकिक -लेखन ,आत्मा के समक्ष इस माहरास का जिवंत दृश्य उपस्थित कर देता हैं |
    आलौकिक हैं आनंद हैं |

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  3. वाह ..बहुत सुंदर भाव ...
    श्याम नील वर्ण पर बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...

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