रविवार, 2 जून 2013
भगवान पतंजलि : राजनीतिक और आध्यात्मिक स्फोटवाद के द्रष्टा :
शुक्रवार, 31 मई 2013
बुधवार, 15 मई 2013
बहुत कुर्बानियां दी हैं हमारे कुनबे ने...
हर इक शहीद ने दिया जो शहादत देकर,
वही पैगाम मैं ज़िंदा ही देने आया हूँ.
बहुत कुर्बानियां दी हैं हमारे कुनबे ने,
मैं इस दफा उन्हीं को जिब्ह करने आया हूँ.
ये पंक्तियाँ वास्तव में क्रुद्ध-कवि श्री Desh Ratna की एक कविता के पढने के बाद निकलीं...उन्हें धन्यवाद ..........
.......अब बलिदान के संकल्प का नहीं अपितु राष्ट्र-शत्रुओं की बलि चढाने के संकल्प लेने का युग है............
अरविंद पाण्डेय
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सोमवार, 13 मई 2013
अमृत-विंदु खिचता है ..
श्रीकृष्णार्पणमस्तु
धरती के अन्तस्तल से जब अमृत-विंदु खिचता है
ताप, तरणि का संश्लेषित,जब पादप से मिलता है
मानव की निःश्वास-वायु से होता परिसंपुष्ट ,
प्रकृति-नटी के इतने श्रम के बाद पुष्प खिलता है .
अरविंद पाण्डेय
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शनिवार, 11 मई 2013
बुधवार, 1 मई 2013
गुरुवार, 25 अप्रैल 2013
जय जय श्री हनुमान..
हरिः ॐ तत्सत्महाभटचक्रवर्तीरामदूताय नमः
जब संकट आए कोई , हों व्याकुल मन प्राण.
शत्रु शक्तिशाली करे मारक शर - संधान .
स्मरण करे एकाग्र हो , करे बस यही गान -
रामदूत रक्षा करो , जय जय श्री हनुमान.
© अरविंद पाण्डेय..
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श्री रामदूत हनुमान
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पटना, बिहार, भारत
शनिवार, 20 अप्रैल 2013
श्री श्री दुर्गा बत्तीस नामावली : स्वर : अरविंद पाण्डेय
श्री श्री दुर्गा बत्तीस नामावली
अरविंद पाण्डेय
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गुरुवार, 11 अप्रैल 2013
प्रथमं शैलपुत्री च !
ॐ नमश्चण्डिकायै
प्रथमं शैलपुत्री च !
.......... आप सभी मित्रों को नवरात्र महापर्व के लिए मंगल कामनाएँ ! ...........
...........माँ विंध्यवासिनी का यह भजन आप सभी के लिए ............
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तुम कर दो अब कल्याण,सुनो कल्याणी
हम शरणागत है माँ विंध्याचल-रानी
१
तुमने ही तो कृष्ण -रूप में ब्रज में रास रचाया
युगों युगों तक भक्त जनों के मन की प्यास बुझाया
शिव ही तो राधा बनकर ब्रज की धरती पर आए
इस प्यासी धरती पर मीठी रसधारा बरसाए
हम रस के प्यासे लोग, न चाहे भोग, सुनो कल्याणी
हम शरणागत है माँ विंध्याचल -रानी
२
सारे ज्ञानी-जन कहते हैं तुम करुणा की सागर
फ़िर कैसे संसार बना है दुःख की जलती गागर
तुम हो स्वयं शक्ति जगजननी फ़िर ये कैसी माया
इस धरती पर पाप कहाँ से किसने है फैलाया
हे माता हर लो पीर, बंधाओ धीर ,सुनो कल्याणी
हम शरणागत है माँ विंध्याचल -रानी
३
बिना तुम्हारे शिव शंकर भी शव जैसे हो जाते
तुमसे मिलकर शिव इस जग को पल भर में उपजाते
तुमने स्वयं कालिका बनाकर मधु-कैटभ को मारा
दुःख में डूबे ब्रह्मा जी को तुमनें स्वयं उबारा
हम आए तेरे द्वार, छोड़ संसार, सुनो कल्याणी
हम शरणागत है माँ विंध्याचल -रानी
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यह गीत मेरे द्वारा लिखा गया और इसकी धुन तैयार की गयी । वीनस म्यूजिक कंपनी द्वारा इसे अन्य भक्ति गीतों के साथ २००३ में एक एलबम के रूप में रिलीज़ किया गया ।
इस गीत में शिव के श्री राधा रानी के रूप में अवतार लेने तथा महाकालिका के श्री कृष्ण के रूप में अवतार लेने के रहस्य का वर्णन है ।
अरविंद पाण्डेय
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बुधवार, 10 अप्रैल 2013
मै पूर्ण, शून्य, सर्वत्र आज ..
ॐ
नभ की अनंतता सिमट सिमट,
मुझमे है आज समाई.
मै पूर्ण, शून्य, सर्वत्र आज
मेरी ही सत्ता छाई..
............तुम जो सोचते हो वही हो और अभी नहीं हो तो शीघ्र हो जाओगे
........इसलिए , यह तुम पर निर्भर है कि तुम क्या होना चाहते हो ...................
अरविंद पाण्डेय
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शून्य अनंत
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पटना, बिहार, भारत
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