हर इक शहीद ने दिया जो शहादत देकर,
वही पैगाम मैं ज़िंदा ही देने आया हूँ.
बहुत कुर्बानियां दी हैं हमारे कुनबे ने,
मैं इस दफा उन्हीं को जिब्ह करने आया हूँ.
ये पंक्तियाँ वास्तव में क्रुद्ध-कवि श्री Desh Ratna की एक कविता के पढने के बाद निकलीं...उन्हें धन्यवाद ..........
.......अब बलिदान के संकल्प का नहीं अपितु राष्ट्र-शत्रुओं की बलि चढाने के संकल्प लेने का युग है............
अरविंद पाण्डेय
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बहुत ही सुन्दर..
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