श्रीकृष्णार्पणमस्तु
धरती के अन्तस्तल से जब अमृत-विंदु खिचता है
ताप, तरणि का संश्लेषित,जब पादप से मिलता है
मानव की निःश्वास-वायु से होता परिसंपुष्ट ,
प्रकृति-नटी के इतने श्रम के बाद पुष्प खिलता है .
अरविंद पाण्डेय
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सच है, श्रम संचित है, पुष्प तनिक सा।
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