अलहम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन . ॐ . अलिफ़ लाम मीम सर्वेश्वर, बस तुम्हीं प्रणम्य. |
-----------------------------
हर शब ही शब-ए-कद्र सी आती है मेरे पास.
अल्लाह की नेमत से हर इक सांस मेरी ईद.
हिन्दू हो, मुसल्मां हो, ईसाई या यहूदी .
हर शख्स को ईमान सिखाती है मेरी ईद.
शुभ शुक्र हो, होली हो , दिवाली हो या पोंगल,
इंसान की खुशियों में ही मनती है मेरी ईद.
मज़हब मेरा इस्लाम , मुसल्मां है मेरा नाम.
हंसते हुए बच्चे में, पर, हंसती है मेरी ईद.
जब दिल में दूरियां हों, मज़हबों में दुश्मनी .
फिर, अम्न का इक चाँद ले आती है मेरी ईद
तुमको भी अगर इश्क की ख्वाहिश हो मेरे दोस्त.
आना मेरे घर , तुमको बुलाती है मेरी ईद.
-- अरविंद पाण्डेय