श्री मैथिलीशरण गुप्त.
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3 अगस्त :
धन्य राम चरित्र का यह प्रबल पूत प्रताप.
कवि बने अल्पग्य कोई आप से ही आप.
कक्षा ८ में अध्ययन के समय ही मैंने श्री मैथिलीशरण गुप्त में महाकाव्य '' साकेत '; ''पंचवटी'' चिरगांव, झांसी से मंगाया था.साकेत के प्रथम पृष्ठ पर एक प्रसिद्द छंद अंकित था-
राम तुम्हारा वृत्त स्वयं ही काव्य है.
कोई कवि बन जाय सहज संभाव्य है.
उसी छंद के नीचे ही मैंने अपनी उपर्युक्त दो पंक्तियाँ अंकित कर दी थीं.मेरे पास उपलब्ध साकेत की प्रति आज मेरे सामने है और आज पुनः वह छंद मेरे समक्ष समुज्ज्वल है
अरविंद पाण्डेय |
मैंने पढ़ा था – “राम तुम्हारा चरित स्वयं ही काव्य है....”
जवाब देंहटाएंयहाँ उद्धृत है – “राम तुम्हारा वृत्त स्वयं ही काव्य है...”
....हो सकता है मुझे ही ठीक से ध्यान नहीं रहा हो......बचपन में पढ़ा था.....
.....बहरहाल, अति-उत्तम प्रस्तुति.......ऐसी ही ज्ञान-वर्द्धक व उपयोगी जानकारी देते रहिए......
ashok.k.vyas@facebook.com
मेरे पास अभी भी चिरगांव से प्रकाशित साकेत है ..उसके प्रथम पृष्ठ पर बस यही दो पंक्तियाँ हैं जिसमे -- राम तुम्हारा वृत्त -- है ''चरित'' नहीं..धन्यवाद आप यहाँ आए...
जवाब देंहटाएंभारतवर्ष के महान कवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती के शुभ अवसर पर महान साहित्यकार श्री मैथिलीशरण गुप्त के याद में अच्छी प्रस्तुति ......
जवाब देंहटाएंराम तुम्हारा वृत्त स्वयं ही काव्य है.
जवाब देंहटाएंकोई कवि बन जाय सहज संभाव्य है.
इस विषय पर लिख रहा हूँ, आपका अनुवाद पढ़ मन अनुनादित हो गया।
राम तुम्हारा वृत्त स्वयं ही काव्य है.
जवाब देंहटाएंकोई कवि बन जाय सहज संभाव्य है.
इस विषय पर लिख रहा हूँ, आपका अनुवाद पढ़ मन अनुनादित हो गया।