२६ नवम्बर
आहत ताज
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जीना है यदि स्वाभिमान से ,
पीना है मधुरिम हाला.
रक्षक का सम्मान सुरक्षित
रक्खे हर पीने वाला.
जिस जिस मदिरालय में ऐसा
नहीं हुआ, तो फिर सुन लो.
भक्षक के कब्ज़े में होगी
जल्दी ही वह मधुशाला.
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पुलिस वह रक्षक-संगठन है जो प्रतिदिन , रात-दिन ,हमारी रक्षा में तत्पर रहता है ..अपनी लाख कमियों के बावजूद, पुलिस ही है जो ताज होटल और ताजपोशी के सपने के साथ जी रहे लोगों की और बिना सोचे समझे ताजपोशी किसी की भी कर देने वाले आम लोगो की रक्षा करती है..
हम भारत के लोगों को चाहिए कि हम अपने रक्षकों का भी सुखद जीवन सुनिश्चित करें और उन्हें सम्मान देना सीखें ..इसके लिए हमें चाहिए कि हम पश्चिम के विकसित देशों में पुलिस को दी जा रही सुविधाओं और सम्मान समतुल्य ही अपने देश में भी पुलिस को वही सुविधाएं और सम्मान दें...
-- अरविंद पाण्डेय
दो घटनाओं को मिला कर लिखी सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंbilkul sir mai aap ki baat se sehmat ho.......
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