बुधवार, 28 सितंबर 2011

माँ,तू रूद्राणी,शूलधारिणी,नारायणी,कराली है.नंदिता पाण्डेय का स्वर-पुष्प


 नवरात्र पर्व के प्रथम दिवस पर .
माँ को अर्पित भक्ति-गीत 
नंदिता पाण्डेय के स्वर में..

गीत लिखे कोई कैसे तुझ पर,चरित अनंत,अपार है माँ.
तू कल्याणमयी वाणी है , तू उसके भी पार है माँ.

१ 

माँ , तू रूद्राणी , शूलधारिणी , नारायणी, कराली है.
विन्ध्यवासिनी माता मेरी , तू ही शेरावाली है.

माँ स्वर्ण-कमल है आसन तेरा , आँखों से करूणा बरसे .
शंख, चक्र औ पद्म लिए तू , माँ , मेरे ही मन में बसे.

तू असुरों का नाश करे औ तुझसे ये संसार है माँ.
तू कल्याणमयी वाणी है , तू उसके भी पार है माँ.

२ 

माँ मधु-कैटभ का नाश किया औ देवों का कल्याण किया.
चामुंडा बन कर तूने ही रक्तबीज का प्राण लिया .

माँ, फिर से धरती पर असुरों का फैला है आतंक बड़ा.
धर्म हुआ कमज़ोर, अधर्मी पापी फिर से सर पे चढ़ा .

ले ले अब तू फिर से इस धरती पर वो अवतार, हे माँ.
तू कल्याणमयी वाणी है , तू उसके भी पार है माँ.

गीत लिखे कोई कैसे तुझ पर, चरित अनंत,अपार है माँ.
तू कल्याणमयी वाणी है , तू उसके भी पार है माँ.

Aravind Pandey

1 टिप्पणी:

आप यहाँ अपने विचार अंकित कर सकते हैं..
हमें प्रसन्नता होगी...