भगवान अनंत शेष के इन पार्थिव प्रतीक के चित्र का दर्शन करने का सौभाग्य मुझे इंटरनेट पर प्राप्त हुआ..
भगवान शेष , महाविष्णु को अपनी कुण्डली पर एवं समस्त पञ्चभूतात्मक सृष्टि को अपने सहस्र फणो पर धारण करते हुए अपने परमानंदस्वरुप मे स्थित रहते हैं..
इस चित्र के दर्शन से उनकी स्तुति करने की इच्छा हुई इसलिए ये पंक्तियाँ प्रस्तुत हुईं..
आप इसे पढ़ने के बाद , ब्लॉग मे अपनी टिप्पणी लिखने की कृपा करें..
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सम्पूर्ण सृष्टि की सत्ता का मैं अधिष्ठान
मैं पंचभूत के विस्तृत वैभव का वितान.
मेरे सहस्रफण की मणि का प्रज्ज्वल प्रकाश.
संसृति को देता जन्म,पुनः करता विनाश.
मुझमें ही भास रही देखो संसृति अशेष.
मैं हूँ अनंत,अविकल,अपराजित,अखिल,शेष
-----अरविंद पाण्डेय
bahut hin sundar !!!!!!
जवाब देंहटाएं"मैं हूँ अनंत,अविकल,अपराजित,अखिल,शेष..!!!!!
"मैं हूँ अनंत,अविकल,अपराजित,अखिल,शेष......
जवाब देंहटाएंawesome !!!!!!!
वाह !! बहुत उम्दा सर जी,
जवाब देंहटाएंरोम-रोम पुलकित हो उठा, पढकर ||
Aravind
जवाब देंहटाएंpor favor traduce al ingles y al castellano
asi nos comunicaremos mejor
hare krishna
मेरे सहस्रफण की मणि का प्रज्ज्वल प्रकाश.संसृति को देता जन्म,पुनः करता विनाश...
जवाब देंहटाएंइस मणि का उजास श्रृष्टि को नवजीवन प्रदान करता रहे ...
मुझे लग रहा है एक पैरा और होना चाहिए था ...!!
very nice sir. this has changed my way of thinking towards life.
जवाब देंहटाएंvery good description sir......Really...
जवाब देंहटाएंyeah it is really nice description bhaiya...
जवाब देंहटाएंA beautiful composition.
जवाब देंहटाएंasha
bahut hi umda......
जवाब देंहटाएंshabdon ke is arghya ne vakai puja ka ehsas jaga diya
thank u for this....
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है। आपकी कविताऒं में शब्दों का चयन एवं समन्वय बहुत ही शानदार रहता है।
जवाब देंहटाएंआपकी भावना की सटीक शब्दों में सार्थक अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत !!
eternal
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