गुरुवार, 12 मार्च 2009

कृष्ण-प्रेम ही शाश्वत सुमधुर




कृष्ण-प्रेम ही शाश्वत सुमधुर
क्षण-जीवी है लौकिक प्रेम
प्रेम धरा पर कैसे सम्भव
है जिसका क्षण-भंगुर क्षेम

श्री राधा के चरण-चिह्न पर
नतमस्तक हूँ मै - अरविंद
होली पर्व सजा लाया है
मेरे लिए अतुल - आनंद

नीलकमल-श्रीकृष्ण-चरण में
अर्पित किया ह्रदय का फूल
केसरिया हो गया चित्त जब
दिखा कृष्ण का पीत-दुकूल


रंग नहीं , सत्कर्म, शक्ति वह
जो जीवन में रंग भरे
जीवन बहुरंगी करना यदि
आओ हम सत्कर्म करें ..

द्वेष , क्रोध का कलुष नहीं यदि ,
ह्रदय प्रेम से हो परिपूर्ण ..
फिर होली के लिए नहीं
आवश्यक किसी रंग का चूर्ण ..

स्नेह-सलिल में घुला हुआ हो
लाल रंग बन पावन प्रेम
जिह्वा , नयन बनें पिचकारी
बरसे सतत चतुर्दिक प्रेम ..


Get this widget | Track details | eSnips Social DNA




----अरविंद पाण्डेय


4 टिप्‍पणियां:

  1. अध्यात्म के रंग में डूबी प्रेम की शाश्वत धारा का अनोखा चित्रण। अग्रज को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  2. first of all i would like to thank u for joining my blog. kaaphi achcha likha h. keep it up

    जवाब देंहटाएं
  3. first of all i would like to thank u for joining my blog. kaaphi achcha likha h. keep it up. me reecha from freespaceofindia.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  4. first of all i would like to thank u for joining my blog. kaaphi achcha likha h. keep it up. me reecha from freespaceofindia.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं

आप यहाँ अपने विचार अंकित कर सकते हैं..
हमें प्रसन्नता होगी...