तुझसे ही बनेगी मेरी किस्मत तू जान ले
तुझको ही चुनेगी मेरी किस्मत तू मान ले
अब तू न यूँ खामोश रह कुछ बोल तो ज़रा
गर मान नही दे तो अब मेरी ये जान ले
=============================
----अरविंद पाण्डेय
तुझको ही चुनेगी मेरी किस्मत तू मान ले
अब तू न यूँ खामोश रह कुछ बोल तो ज़रा
गर मान नही दे तो अब मेरी ये जान ले
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आजकल कविता के लोकतांत्रिकीकरण के कारण ,
श्री मैथिली शरण गुप्त के शब्दों में -
''कोई कवि बन जाय सहज संभाव्य है ''
की स्थिति बन गयी है ..
उर्दू साहित्य ने अपनी गरिमा
को सुरक्षित रखा है ॥
उर्दू के एक शेर पर करतल-ध्वनि से
आकाश गुंजित हो उठता है ॥
यह इसलिए क्योंकि वहाँ छंदमुक्त कविता
को प्रश्रय नहीं मिला ..
...जिससे हर किसी का कवि बनना
सहज संभाव्य नहीं हो पाया ..
श्री मैथिली शरण गुप्त के शब्दों में -
''कोई कवि बन जाय सहज संभाव्य है ''
की स्थिति बन गयी है ..
उर्दू साहित्य ने अपनी गरिमा
को सुरक्षित रखा है ॥
उर्दू के एक शेर पर करतल-ध्वनि से
आकाश गुंजित हो उठता है ॥
यह इसलिए क्योंकि वहाँ छंदमुक्त कविता
को प्रश्रय नहीं मिला ..
...जिससे हर किसी का कवि बनना
सहज संभाव्य नहीं हो पाया ..
----अरविंद पाण्डेय
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया और आपकी लेखन शैली का कायल हो गया.
जवाब देंहटाएंयह सही है की मुक्त छंद कविता ने हिंदी साहित्य की गरिमा को थोडा बहुत घटाया है क्योंकि हर कोइ कविता करने लग गया है. पर क्या आपको यह नहीं लगता कि इससे कविता दरबारों और कुलीन और उच्च शिक्षित लोगों के बीच से उठकर आम जनता के बीच आ गयी है.
आप कि कविताये उच्च कोटि से सुसजित है
जवाब देंहटाएंजब अर्थ लगाया जाता है तो कई अर्थ निकलते है
या भाब समझ में आने पर व्यक्ती भावः बिभोर हो जाता है
सार भरी कविता के लिए ध्नायाबाद
कुछ तिप्कल सब्द के अर्थ भी साथ दे दीया करे
सध्न्य्बाद
आप कि कविताये उच्च कोटि से सुसजित है
जवाब देंहटाएंजब अर्थ लगाया जाता है तो कई अर्थ निकलते है
या भाब समझ में आने पर व्यक्ती भावः बिभोर हो जाता है
सार भरी कविता के लिए ध्नायाबाद
कुछ तिप्कल सब्द के अर्थ भी साथ दे दीया करे
सध्न्य्बाद
आपकी अच्छी रचना पढ़ई \अच्छा लगा।लेकिन कविता का छंद बध्ध होना ही जरूरी नहीं है ।छंद मुक्त कविता कविता नहीं होती मेरे विचार सेयह सोच सही नहीं है।यह अवश्य है कि वह कविता होनी चाहिऐ।उसमें एक दिशा और एक सोच आवश्यक है।आप गद्य में लिखे या पद्य में।बिना दिशा और समाधान के लेखन अधूरा है।ऐसा मेरा मानना है।
जवाब देंहटाएंछंद मुक्त कविता के नाम पर कुछ भी परोस देना वास्तव में साहित्यिक अजीर्ण ही है।हिन्दी साहित्य के प्रति आपका स्नेह प्रशंसनीय है ।धन्यवाद।
व्यंग्य लेख व कविताओं के लिऐ
shricharak.blogspot.com तथाtutumaimai.blogspot.com पर आपका स्वागत है। स्वागत है
जय हिंद श्री मानजी
जवाब देंहटाएंहमे नाज है आप जैसे देश के वीर सपूतो पर जो हमारे देश की आन के लिए अपनी जान तक लुटा देते है! और आपने यह जो चंद पंक्तिया लिखी है हम इन पर अपना शीश नवाते है! और कामना करते है की आपको जिस मान की आशा है वह आपको जरुर मिले!
वैसे हम आपके कायल हो गए है,देश की रक्षा के साथ साथ हिंदी कविता लिखने का आपका रूप देख कर!
भगवान हमेशा आपकी रक्षा करें!और निडर होकर आप देश की सेवा करते रहें!
जय हिंद
जय हिंद श्री मानजी
जवाब देंहटाएंहमे नाज है आप जैसे देश के वीर सपूतो पर जो हमारे देश की आन के लिए अपनी जान तक लुटा देते है! और आपने यह जो चंद पंक्तिया लिखी है हम इन पर अपना शीश नवाते है! और कामना करते है की आपको जिस मान की आशा है वह आपको जरुर मिले!
वैसे हम आपके कायल हो गए है,देश की रक्षा के साथ साथ हिंदी कविता लिखने का आपका रूप देख कर!
भगवान हमेशा आपकी रक्षा करें!और निडर होकर आप देश की सेवा करते रहें!
जय हिंद
hai mujhme bhavnayen bhi aur sambhavnayen bhi
जवाब देंहटाएंji karta hai likhoon main bhi ek kavita par karoon kya main mujhe chhand to milta hi nahi.
Sanjiv Kumar
KSDS Software, Muzaffarpur
hai mujhme bhavnayen bhi aur sambhavnayen bhi
जवाब देंहटाएंji karta hai main bhi likhoon koi kavira par chhand to milta hi nahi,chhand to milta ha nahi
sath mila tha apka par kinara mil na saka,
ham sanvarte hin rahe aur aap sahar chor kar chale gaye.
Sanjiv Kumar
KSDS Software, Muzaffarpur
आपकी कविता संछिप्त परन्तु गूढ़ है,कृपया ब्लॉग्गिंग करने के कुछ आसान तरीकेबताएं .
जवाब देंहटाएंArvind ji
जवाब देंहटाएंbhavo ki gehrai ko bayan karta chand mukt shabdo ka ghunthan bhi kavita ka ek roo hi hai. manushy avashy hi sbse pahle chand mukt kavita hi kar apni abhivyakti ko pahli udaan di hogi.vyakran to bahut bad me rachi gai.
kiran rajpurohit nitila
aapka blog per kafi-kuch hai damdaar. badhai.
जवाब देंहटाएंतुझसे ही बनेगी मेरी किस्मत तू जान ले
जवाब देंहटाएंतुझको ही चुनेगी मेरी किस्मत तू मान ले
अब तू न यूँ खामोश रह कुछ बोल तो ज़रा
गर मान नही दे तो अब मेरी ये जान ले
Aapne jo kavita ki likhi hai unme se ye panktiya mujhe bahut achhi lagi....lekin aapse anurod hai ki aap kalishth shabdo ke arth v de diya kare......dhanyabad.........