तुम सो जाओ
कि वक्त की सर्दी में
सिकुड़ती हुई मेरी किस्मत भी
अब सोने को है ।
तुम सो जाओ
कि कुहासे के धुंध से ढके हुए
तुम्हारी यादों के फूल
तुषार के आंसुओं में
अब रोने को हैं ।
तुम सो जाओ
कि ख़ुद की ही खूबसूरती से
बेपनाह माहताब
स्याह बादलों की परछाईं में
ख़ुद से ही ख़ुद को डुबोने को है ।
तुम सो जाओ
कि कहकशा की खामोश गहराई में
पिघलकर बेजार बहती हुई
सितारों की मायूस रोशनी भी
अब अपना नूरानी वजूद
खोने को है ।
तुम सो जाओ
कि तुम्हारी साँसों से सरककर बिखरी हुई
महक से प्रफुल्लित
दिलकश सवेरा
अभी बहुत देर से होने को है ।
तुम सो जाओ ...
तुम सो जाओ .....
----अरविंद पाण्डेय
तुम सो जाओं, मगर जग जाना मेरे मुकद्दर के साथ-साथ। लेकिन इस पल का आना तो अभी बाकी है। एहसास की बेहतर तस्वीर पेश कर रही है आपकी रचना। manzilaurmukam.blogpost.com
जवाब देंहटाएंअरविन्द जी नमस्कार,
जवाब देंहटाएंपहली दफा पढ़ा आपको बेहद उम्दा रचना पढ़ने को मिली ... बहोत खूब लिखा है आपने ढेरो बधाई कुबूल करें...
अर्श
syah raat mein, faily thi ujli chandni....aur thee neervta ko cheerti kuchh khamosh chheekhe ....itne mein madhur ek ttn sunai di mujhko ....sulane ki maddhim lori sunai di mujhkao ...shayad aa jaye ab neend ke thehre hain kuchh pal...aa jaye mujhko chain...ke bas ab subh hone ko hai.... shashi bala
जवाब देंहटाएंjade ki abhisapt kohre main lipti subah ko
जवाब देंहटाएंnikal pada hoon manzil kayam karne
andhere main chalte -chalte -chalte-chalte thak gaya
ab, ruk kar sustana chahta hoon
par yaad aata hai manzil pane ka maksad
aur bach khuch urja samet chal pada fir se
aage chalte -2 chaurahe par ja pahuncha
kuppa andhkar main har rasta ek sa dikhta hai , kahan jau? kahan jau? kahanjau?
Bahut Khoob likha hai.
जवाब देंहटाएंwww.azadsikander.blogspot.com
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