ज्ञान का प्रकाश हो,
चित्त का विकास हो ।
दैवी- संपत्ति का
मानव में वास हो ।
स्वाभिमान से सबका
मस्तक उन्नत रहे ।
मन में सात्विक सुख की
धारा बहती रहे ।
द्वेष ना किसी में हो,
प्रेमपूर्ण जन जन हो
मानवता-सेवा में,
अर्पित यह तन- मन हो ।
सत्य -दीप जन जन में,
प्रतिपल जला करे
ईश्वर, मानवता का
सदा ही भला करे।
----अरविंद पाण्डेय
बहुत ज्यादा अच्छी लगी आपकी यह कविता.
जवाब देंहटाएंसादर
सत्य -दीप जन जन में,
जवाब देंहटाएंप्रतिपल जला करे
ईश्वर, मानवता का
सदा ही भला करे।bahut hi badiya aalekh.bahdaai sweekaren.
सत्य -दीप जन जन में,
जवाब देंहटाएंप्रतिपल जला करे
ईश्वर, मानवता का
सदा ही भला करे।MANAVTAA KE UTHAAN KE LIYE SANDESH DETI HUI ANOKHI RACHANAA.BADHAAI AAPKO.
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बहुत प्रेरणादायक रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर मन के भाव हैं ...!!
जवाब देंहटाएंबेमिसाल है ये रचना ...!!