सोमवार, 26 नवंबर 2012
इस खून की हर बूँद पे वतन का क़र्ज़ है.
गुरुवार, 22 नवंबर 2012
एकमेव है चन्द्र किन्तु शत - शत बन इतराता है,
महाकाश, उत्फुल्ल - धवल सागर सा लहराता है.
एकमेव है चन्द्र किन्तु शत - शत बन इतराता है.
रात्रि गहन, कल-कल, छल-छल चेतना बही जाती है.
है सुषुप्ति का द्वार खुला निद्रा अब गहराती है.
स्वप्न-हीन हो निशा, दिवस में स्वप्न बनें साकार.
आओ , ऐसा ही अद्भुत हम , रचें एक संसार.
अरविंद पाण्डेय
रविवार, 18 नवंबर 2012
आओ ! षष्ठी - उत्सव पर प्रार्थना करें हम
आओ षष्ठी - उत्सव पर प्रार्थना करें हम.
सृष्टि - प्रसविता महासूर्य को नमन करें हम.
नयनों से शुभ-दृश्य अमृत-आचमन करें हम.
कर्णों में बस साम-गान की ध्वनि गुंजित हो.
आओ ! षष्ठी - उत्सव पर प्रार्थना करें हम.
कण - कण में हंसते ईश्वर का हो अब दर्शन.
द्वेष-अमर्ष मिटे , बस प्रेयस का हो वर्षण.
ह्रदय सदा पूरित हो छलके प्रेम - अमृत से.
रहे मनीषा अभिषिन्चित अविरल बस ऋत से.
अरविंद पाण्डेय
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शनिवार, 17 नवंबर 2012
मिले या ना मिले मंजिल तो भी हंसते रहना.
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