शनिवार, 17 नवंबर 2012

मिले या ना मिले मंजिल तो भी हंसते रहना.



हर  एक  शख्स  यहाँ  वक्त पर ही चलता है. 
अगर रुक जाय वक्त भी तो तुम चलते रहना. 
ये  जिंदगी  है तो  बस आबशार खुशियों का.
मिले या ना मिले मंजिल तो भी हंसते रहना.



अरविंद पाण्डेय

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