आओ षष्ठी - उत्सव पर प्रार्थना करें हम.
सृष्टि - प्रसविता महासूर्य को नमन करें हम.
नयनों से शुभ-दृश्य अमृत-आचमन करें हम.
कर्णों में बस साम-गान की ध्वनि गुंजित हो.
आओ ! षष्ठी - उत्सव पर प्रार्थना करें हम.
कण - कण में हंसते ईश्वर का हो अब दर्शन.
द्वेष-अमर्ष मिटे , बस प्रेयस का हो वर्षण.
ह्रदय सदा पूरित हो छलके प्रेम - अमृत से.
रहे मनीषा अभिषिन्चित अविरल बस ऋत से.
अरविंद पाण्डेय
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