गौर्यै धात्र्यै नमो नमः ------------- |
करवा चौथ .
सभी व्रती-नारियों के सम्मान में .आज माँ गौरी का स्मरण करते हुए.
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मेरे सनम ! मेरे महबूब ! आज की शब् तो,
मेरे आँगन में ही , मुफलिस सा चाँद आया है.
बड़ा बेनूर सा दिखता है चौथ का ये चाँद.
तुझी को देख, लग रहा है, ये शरमाया है.
तेरी नज़रों का नूर , दीद में मेरी, हरदम,
मेरे हमनूर ! जो चारो पहर समाया है.
उसी नज़र-ए-करम की भीख माँगने शायद,
मेरे आँगन में ही,मुफलिस सा, चाँद आया है.
-- अरविंद पाण्डेय
वाह …………बहुत सुन्दर अल्फ़ाज़्।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंlovely lines..
जवाब देंहटाएंहृदय को छूती हुई, बेहद सुन्दर अल्फाज़ है...
जवाब देंहटाएंहृदय को छूती हुई, बेहद सुन्दर अल्फाज़ है...
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