बहुत कर लिया बंद, अब ज़रा भारत खोलो.
कहा खड़े हो दुनिया में अब खुद को तोलो.
बाजारों में कब्ज़ा है जापान , चीन का.
कितनी दौलत वहाँ जा रही ,यह तो बोलो.
एक वक़्त था जब यूनानी, रोमन सारे.
खूब खरीदा करते थे सामान हमारे.
वही सुनहरी सदी आज फिर कोई दे दे-
अब अपनों से आकुल हिन्दुस्तान पुकारे.
-- अरविंद पाण्डेय
दो पाटों में फँसा हुआ है अपना भारत..
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