ॐ नमश्चंडिकायै .
आज नवरात्र पर माँ को पुनः अर्पित:भजन
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मैया होइ गइन दयालु आजु मोरे अंगने.
जननी होइ गईन दयालु आजु मोरे अंगने.
१
मैया के माथे पे सोने की बिंदिया .
बैंठीं करके सिंगार आजु मोरे अंगने
मैया होइ गइन दयालु आजु मोरे अंगने.
२
मैया के पैरों में चांदी की पायल.
बाजे रन झुन झंकार आजु मोरे अंगने
मैया होइ गइन दयालु आजु मोरे अंगने.
३
मैया के होठों पर पान की लाली..
पल पल बरसे आजु मोरे अंगने .
मैया होइ गइन दयालु आजु मोरे अंगने.
४
माँ के गले मोतियन की माला.
मुख पे नैना विशाल आजु मोरे अंगने
मैया होइ गइन दयालु आजु मोरे अंगने.
५
गोरे बदन पर चमके बिजुरिया.
जिसपे चुनरी है लाल मोरे अंगने .
मैया होइ गइन दयालु आजु मोरे अंगने.
६
मैया करती हैं सिंह सवारी .
नाचे सिंह विशाल आजु मोरे अंगने
मैया होइ गइन दयालु आजु मोरे अंगने.
जननी होइ गइन दयालु आजु मोरे अंगने.
दुर्गा होइ गइन दयालु आजु मोरे अंगने.
विन्ध्याचल-धाम के घरों में ये गीत गाया जाता रहा है..
अपनी माता जी के स्वर में ये गीत, मैं बचपन से ही, प्रत्येक पारिवारिक उत्सव के अवसर पर, सुनकर आनंदित होता रहा हूँ..
मूलरूप से ये गीत विन्ध्याचल की लोक-भाषा में है.इसे मैंने फिर से लिखा-खडी बोली में.और मुखड़े को छोड़ कर, भाव भी मेरे हैं ..
वन्दिता ऩे इसे स्वर दिया .२००२ में रिकार्ड हुआ और वीनस ऩे इसे रिलीज़ किया था.. आज नवरात्र पर माँ को पुनः अर्पित..
भक्तिमयी रचना की शान्ति विस्तृत होती है।
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