मैं रौनके-जहां हूँ, भारत है नाम मेरा.
मेरे ही दर से होता है इल्म का सवेरा.
जब जब जहां पे छाया था तीरगी का साया.
ज़ालिम ने तशद्दुद से इन्सां को था जलाया.
तब मैं ही कभी गांधी या बुद्ध, बन के आया.
रहमो-करम से रोशन रस्ता नया दिखाया.
पर,जब कोई सिकंदर था लूटने को आया.
मैंने ज़हर भरा, तब, था तीर भी चलाया.
गिरते हुए जहां को मैंने ही है संभाला.
हर मुल्क, हर वतन है, हमराह, हमपियाला.
दुनिया में बिक रहा था, सामान ,बस हमारा.
बह कर यहीं आता था, दुनिया का सोना सारा .
अब फिर से उस मुकामे-तारीख पर है आना.
इक बार फिर से बोले, मेरी जुबां, ज़माना.
बस मुल्क ही नहीं मैं, मैं मुल्के-मुहज्ज़ब हूँ.
इंसानियत की अब तक की अज्बीयत,अदब हूँ.
इतिहास की किताबें हैं दे रही गवाही .
इंसानियत के दिल से, मिटाता हूँ मैं सियाही.
मुझसे ही हैं मुसलमां, मुझसे ही हैं ईसाई .
दुनिया के मज़हबों में, है मेरी रौशनाई.
भारत है नाम मेरा, फिरदौस मेरी सूरत.
इक बार, फिर से दुनिया को है मेरी ज़रुरत.
आओ शुरू करें अब, फिर से नयी इबारत .
दुनिया के कोने कोने में लिख दें - मैं हूँ भारत.
================================
तीरगी=अन्धकार
मुहज्ज़ब=शिष्टाचार
अज्बीयत = सभ्यता
तशद्दुद = हिंसा
रौशनाई = प्रकाश
अब फिर से उस मुकामे-तारीख पर है आना.
इक बार फिर से बोले, मेरी जुबां, ज़माना.
बस मुल्क ही नहीं मैं, मैं मुल्के-मुहज्ज़ब हूँ.
इंसानियत की अब तक की अज्बीयत,अदब हूँ.
इतिहास की किताबें हैं दे रही गवाही .
इंसानियत के दिल से, मिटाता हूँ मैं सियाही.
मुझसे ही हैं मुसलमां, मुझसे ही हैं ईसाई .
दुनिया के मज़हबों में, है मेरी रौशनाई.
भारत है नाम मेरा, फिरदौस मेरी सूरत.
इक बार, फिर से दुनिया को है मेरी ज़रुरत.
आओ शुरू करें अब, फिर से नयी इबारत .
दुनिया के कोने कोने में लिख दें - मैं हूँ भारत.
================================
तीरगी=अन्धकार
मुहज्ज़ब=शिष्टाचार
अज्बीयत = सभ्यता
तशद्दुद = हिंसा
रौशनाई = प्रकाश
----अरविंद पाण्डेय
awesome..............hats off to u sir.....this is ur first peotry i hav read....its beautiful...
जवाब देंहटाएंA very lovely indeed with wonderful theme.
जवाब देंहटाएंA very lovely indeed with very mreaningful theme worth appreciating.
जवाब देंहटाएंपरम आदरणीय सर , आज तो आपने भारतवाशियों की दिल की बात लिखी हैं,हर एक पंक्ति अति सुंदर हैं ......दुनिया के कोने कोने में लिख दें लफ्ज़ भारत..........वन्दे मातरम
जवाब देंहटाएंसाहेब बहुत रूहानी लफ्ज़ लिखे हैं आपने , भारत माँ का हर बन्दा इसके वीरता की पुकार /हुंकार से सीना तान लेगा
जवाब देंहटाएं"मैं रौनके -जहाँ हूँ , भारत हैं नाम मेरा "
"मैं रौनके -जहाँ हूँ , भारत हैं नाम मेरा "
आओ शुरू करें अब फिर से नयी इबादत
दुनिया के कोने कोने में, मैं "संजय" लिख दूँ "भारत"
साहेब वन्देमातरम का आह्वान एक घनघोर हुंकार हैं हर अंधकार के खिलाफ
वन्देमातरम सिर्फ और सिर्फ वीर रस के साथ ही सुशोभित होता हैं
वन्दे मातरम !!!!!
सुन्दर भाव प्रधान कविता |बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
Saare logon ke comment padhe. Sab sahi keh rahe hain. Amazing talent you have bhaiya.
जवाब देंहटाएंyes it is very true that again INDIA will prove itself to be on the top of world and the day will soon come when the rest of the world will get their lessons from our INDIA
जवाब देंहटाएंsir your this poem shows glorious ancient history ,present india and our prosperous future of india.it can not b made without the help of your bueaucracy.politician can sell our beloved country.we can b slave again if people of india, b spectator any more
जवाब देंहटाएंveryy nyc....itne dino ke baad itni acchi poetry padhi hai.......thnkkss
जवाब देंहटाएं