रविवार, 31 अगस्त 2014

बंद करो मानव व्यापार.



सारा भारत करे पुकार.
बंद करो मानव व्यापार.


बिहार के 20 जिलों में कमजोर-वर्ग द्वारा चलाई जा रही ग्यारहवीं कार्यशाला का समापन आज पटना के एस.के.मेमोरियल सभागार में हुआ ..................... 
..................इस दो दिवसीय ' मानव व्यापार निरोध ' विषयक कार्यशाला में पटना के सभी थानाध्यक्षों सहित अन्य पुलिस अधिकारियों ने समर्पण की स्वतः प्रसूत पवित्र भावना के साथ भाग लिया .... 
................उदघाटन-समापन के अवसरों पर कार्यशाला में पटना के सभी वरीय अधिकारियों - आई.जी. डी.आई.जी. एस एस पी , डी . एम. ने अपने अनुभवों से प्रतिभागियों को लाभान्वित किया....

.................... कार्यशाला में मैंने सभी को मानव-व्यापार निरोध की तकनीकों को अपने निजी अनुप्रयोगों के माध्यम से बताया..... कार्यशाला का एक दृश्य.......




अरविन्द पाण्डेय

सोमवार, 18 अगस्त 2014

वे दोनों हैं रत्न ...

हज़ारों साल कुदरत खुद ही खुद में कसमसाती है.
तभी जाकर रफ़ी जैसी कोई आवाज़ आती है.


कोई आवाज़, जब महसूस हो,जन्नत से आई है.
किसी बच्चे को अभी मुकेश ने लोरी सुनाई है .



भारत के 100 अरब से अधिक जीवित और स्वर्गवासी लोगों के जीवन को अपने स्वर-सौरभ से रफ़ी साहब और मुकेश जी ने सानंद बनाया ............ मेरे विचार से सबसे पहले इन दो महान भारतीयों को '' भारत रत्न '' मिलना चाहिए.....


.............. सुभाष बाबू तो रत्न नहीं रत्नागार थे......... 
उनके प्रेरक व्यक्तित्व से तो रत्नों का निरंतर जन्म होता रहता है......

शनिवार, 9 अगस्त 2014

Shiv hi is Sansar Me Sabke Paalan Haar Aravind Pandey



शिव  ही  इस  संसार  में   सबके    पालनहार .
शिव को तू मत भूलना,हर पल शिव को पुकार.





गुरुवार, 31 जुलाई 2014

Wadiya Mera Daman Arvind Pandey Sings Rafi




On July 31 ,, Immortal Rafi !!Dedicated to all lovers of Md.Rafi Sahab !
In my voice ---
Wadiya Mera Daaman ,
Raaste Meri Bahen,
Jaao Mere Siwa Tum Kaha Jaaoge .......

-- अरविन्द पाण्डेय

Jaane Man Jaane Man Arvind Pandey Sings Kishor Kumar

सोमवार, 28 जुलाई 2014

मंगलवार, 22 जुलाई 2014

यह एवरेस्ट क्यों झुक सा अभी गया है..



सत्ता के पौरुष का पर्याय पुलिस है.
पर,कौन घोलता इस अमृत में विष है.
यह शक्ति-पुंज कैसे असहाय हुआ है.
यह एवरेस्ट क्यों झुक सा अभी गया है.


षड्यंत्र घृणित दिखता जो, वह किसका है.
है सूत्रधार वह कौन, सूत्र किसका है.
विधि के शासन की गरिमा कौन लुटाता.
मर्यादा की रेखा है कौन मिटाता.


दावा करता है कौन न्याय का, नय का.
सारे समाज के शुभ का और अभय का.
वह कौन कि जिसने स्वर्णिम स्वप्न दिखाया.
पर, कर्म किया प्रतिकूल, मात्र भरमाया.


जब जब शासक,खल के समक्ष झुकता है.
तब तब ललनाओं का सुहाग लुटता है.
जब कर्म-कुंड की अग्नि शांत होती है.
तब दुष्टों से धरती अशांत होती है.


जब उच्छृंखल,अपवाचक लोग अभय हों.
जब सत्यनिष्ठ जन को सत्ता का भय हो.
जब श्रेष्ठ,श्रेष्ठता से मदांध सोता है.
वर्चस्व तब अनाचारी का होता है.


विधि के शासन की गरिमा तब लुटती है.
मर्यादा की सब रेखाएं मिटती हैं.
पौरुष का पर्वत भी झुक सा जाता है.
सारा समाज आतंक तले आता है.


इसलिए,अगर सम्मान सहित है जीना 
आतंक का न अब और गरल है पीना .
तब नपुंसकों का बहिष्कार करना है.
क्यों बार बार, बस,एक बार मरना है.

---  अरविन्द पाण्डेय