दवा बिना मर गई बालिका,
ठेले, रिक्शे टूट गए.
नोटा वालों की कारों के
शीशे चकनाचूर हुए.
मेहनतकश का काम गया,
दूकाने धड़ धड़ बंद हुईं.
बंदबाज़ दो चार थे मगर,
लाठी खूब बुलंद हुई.
जनता की सेवा को व्याकुल
भीड़ देख, सब भाग चले.
टेम्पो,टैक्सी,ट्रेन थम गई,
वायु यान पर खूब चले.
दस करोड़ गरीब गुरबा को
आज काम कुछ नहीं मिला.
पांच सितारा में मदिरा का
प्याला, लेकिन खूब चला.
जन - सेवा को व्याकुल
लोगों ने हुड़दंग प्रचंड किया.
सोच रही जनता, भाई ये
कैसा भारत बंद किया 🤔
"यदि सच्चाई हो इसमें तो,
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