हमारा संविधान ईश्वरवादी_है :
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..... संविधान की तीसरी अनुसूची में
संघ और राज्यों के मंत्रियों के शपथ का प्रारूप दिया गया है जिसका प्रारम्भ होता है --
" मैं , अमुक, ईश्वर की शपथ लेता हूँ / सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूँ " -- इसका अर्थ क्या हुआ ?
.... इसका स्पष्ट अर्थ है कि हमारी संविधान सभा
तथा
संविधान निर्मात्री समिति को
ईश्वर के अस्तित्व में अखण्डविश्वास था
क्योंकि संविधान निर्माता किसी ऐसी सत्ता के नाम पर मंत्रियों को शपथ लेने का प्रावधान नहीं कर सकते थे जिसका अस्तित्व ही न हो या जिसके अस्तित्व पर उन्हें अखंड विश्वास न हो...
..... इसलिए भारत में ईश्वर एक आध्यात्मिक सत्य तो है ही, संवैधानिक सत्य भी है जिसके नाम पर शपथ लेकर केंद्र और राज्य के मंत्रिमंडल के सदस्य कर्तव्य निर्वहन करते हैं और करते रहेगें....
..... और इसलिए, भारत में कोई भी स्वयं को सहस्रबाहु ईश्वर के समकक्ष न समझे क्योंकि ईश्वर एक संवैधानिक सत्ता है जिसके नाम पर शपथ लेकर देश का राजकार्य संचालित होता है...
रविवार, 27 मई 2018
भारत का संविधान ईश्वर वादी है
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