पानी भी कुछ महंगा ही है उन सब के ईमान से.
अफज़ल गुरु नाम ले रहे जो अब भी सम्मान से.
धिक्कृताः
धिक्कृताः
धिक्कृताः
अफ़ज़ल को भारत की न्याय-प्रक्रिया और अन्य संवैधानिक प्रावधानों का पूर्ण और विलंबित पालन करते हुए फांसी दी गयी थी , और इसलिए,
जो लोग उसकी फांसी को अन्याय-पूर्ण या अनुचित कह रहें हैं वे वास्तव में भारत के संविधान और तदनुसार-सृजित भारत की न्याय-पालिका को अपमानित कर रहे हैं......