प्रथमं शैलपुत्री च !
जागृत-जन के लिए सतत जो प्रतिकण में हैं प्रतिपल दृश्य.
कितु, वही कालिका , सुप्त को अप्रतीत हैं और अदृश्य.
महाकाल को भी मथकर जो महाप्रलय में करतीं नृत्य.
मुझे बोध है मैं उनका प्रिय - पुत्र, और अनुशासित भृत्य.
© अरविंद पाण्डेय
नवरात्रि की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएं