रंगों से भरी है सुबह,है शाम भी रंगीन .
दोपहर में भी शम्स की है रोशनी हसीन.
फूलों के हुस्न की महक लिए हवा चले.
होली में ही सही ज़रा हम भी गले मिलें .
पुरहुस्न है फिजां ,है मज़े में खिला चमन .
मदहोशियाँ कुदरत की पी रहा है मेरा मन .
बदमस्त मेरे दिल से मगर कह रहा गुलाल -
''रंगों से जो महरूम हैं,उनका भी कर ख़याल ''
----अरविंद पाण्डेय
main kya kahun,
जवाब देंहटाएंki shabd mere aapane kahe.
saare jahan se jud sake,
hai nek yah khayal.
बदमस्त मेरे दिल से मगर कह रहा गुलाल -
जवाब देंहटाएं''रंगों से जो महरूम हैं,उनका भी कर ख़याल ''
सुंदर अभिव्यक्ति!!!
Respected Sir ,सादर प्रणाम,
जवाब देंहटाएंI will not be the only person to like it, everyone will like it .
''रंगों से जो महरूम हैं,उनका भी कर ख़याल '' कितनी बरी बात आपने लिखी है सर , यहाँ तो सब को अपनी फिक्र है , होनी भी चाहिए , लेकिन कभी तो एक निगाह उन पर भी परनी ही चाहिए '' जो रंगों से महरूम हैं "और जिस दिन पर गयी ना उस दिन ........ फिर तो मस्त हवाओ के हम झोके बन जायेंगे , ओ .....................
जय हिंद
बदमस्त मेरे दिल से मगर कह रहा गुलाल - ''रंगों से जो महरूम हैं,उनका भी कर ख़याल ''......WoW! Really Very nice through.....
जवाब देंहटाएंरंगों से जो हैं महरूम ...उनका भी कुछ खयाल रख ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ....!!
Dear Sir,
जवाब देंहटाएंwanted to thank you for visiting my blog and leaving your precious comments there... i can see you have a depth to your personality..needless to say the selection of your songs to express yourself are awesome...loved by all of us .. something that has become part of our growing up and hence our soul.... beautiful...
adbhutaas.... rango se jo hai mahroom unka bhi khyaal kar....
जवाब देंहटाएंarviund aapne gazal behad sanvedansheel likhi hai ....khaas ker ye pankti ...RANGO SE JO MERHOOM HAI UNKA BHI KHAYAL KER .ye pankti . hriday se nikali hai ,samaj ke prati utterdayitav ka bhan karati hue aapke nek hone ka praman deti hai saath hi gazal ki shailly mein badh sare sher aapke sayar hone ko pukhta kerte hai ...badhai ..
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