गुरुवार, 31 जुलाई 2014
Jaane Man Jaane Man Arvind Pandey Sings Kishor Kumar
सोमवार, 28 जुलाई 2014
O Duniya Ke Rakhwale Arvind Pandey Sings
मेरे स्वर में : ओ दुनिया के रखवाले
मंगलवार, 22 जुलाई 2014
यह एवरेस्ट क्यों झुक सा अभी गया है..
सत्ता के पौरुष का पर्याय पुलिस है.
पर,कौन घोलता इस अमृत में विष है.
यह शक्ति-पुंज कैसे असहाय हुआ है.
यह एवरेस्ट क्यों झुक सा अभी गया है.
षड्यंत्र घृणित दिखता जो, वह किसका है.
है सूत्रधार वह कौन, सूत्र किसका है.
विधि के शासन की गरिमा कौन लुटाता.
मर्यादा की रेखा है कौन मिटाता.
दावा करता है कौन न्याय का, नय का.
सारे समाज के शुभ का और अभय का.
वह कौन कि जिसने स्वर्णिम स्वप्न दिखाया.
पर, कर्म किया प्रतिकूल, मात्र भरमाया.
जब जब शासक,खल के समक्ष झुकता है.
तब तब ललनाओं का सुहाग लुटता है.
जब कर्म-कुंड की अग्नि शांत होती है.
तब दुष्टों से धरती अशांत होती है.
जब उच्छृंखल,अपवाचक लोग अभय हों.
जब सत्यनिष्ठ जन को सत्ता का भय हो.
जब श्रेष्ठ,श्रेष्ठता से मदांध सोता है.
वर्चस्व तब अनाचारी का होता है.
विधि के शासन की गरिमा तब लुटती है.
मर्यादा की सब रेखाएं मिटती हैं.
पौरुष का पर्वत भी झुक सा जाता है.
सारा समाज आतंक तले आता है.
इसलिए,अगर सम्मान सहित है जीना
आतंक का न अब और गरल है पीना .
तब नपुंसकों का बहिष्कार करना है.
क्यों बार बार, बस,एक बार मरना है.
--- अरविन्द पाण्डेय
सोमवार, 12 मई 2014
Chingari Koi Bhadke by Aravind Pandey
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