जननीजन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी
अपने ही शस्त्रों से आहत, रुधिर-विरूपित वेष.
विवश हुआ पश्चिम भी, अब दे रहा शान्ति-उपदेश.
जब तक था आतंकित पूरब, तब तक थे निश्चिन्त.
अब यूरोप और अमरीका भी हैं परम सचिन्त.
जिन देशों के हथियारों से भरा विश्व - बाज़ार .
अचरज,वे ही आज कर रहे व्याकुल शांति-प्रचार.
आज बनी रणभूमि हमारी धरा धन्य रमणीय.
नहीं मार्ग अब शेष, युद्ध लघु ही अब है वरणीय.
युद्ध आज आवश्यक है अपने ही कुविचारों से .
बच सकते हो बचो चित्त में फैले अंगारों से .
धधकेगी युद्धाग्नि निकट,फिर होगा कौन तटस्थ.
पूर्व और पश्चिम दोनों होंगे आहत , अस्वस्थ .
-- अरविन्द पांडेय
फ़्रांस में हुए आतंकावादी हमले का सन्दर्भ